दशहरे की विशेषताएं: इस शुभ अवसर पर जानें महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स

Dussehra 2020 दशहरा हिंदू समुदाय के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन के महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के बीच होता है। इसे विजय दशमी भी कहा जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 07:30 AM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 02:50 PM (IST)
दशहरे की विशेषताएं: इस शुभ अवसर पर जानें महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स
दशहरे की विशेषताएं: इस शुभ अवसर पर जानें महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स

Dussehra 2020: दशहरा हिंदू समुदाय के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन के महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के बीच होता है। इसे विजय दशमी भी कहा जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार है। वास्तव में, विजय के दिन के रूप में इस दिन के स्मरणोत्सव से जुड़े तीन किंवदंतियाँ हैं। पुराणों (हिंदू समुदाय के पौराणिक ग्रंथों) में कहा गया है कि देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था। राक्षसी राजा रावण, भगवान विष्णु के एक अवतार, राम के हाथों मारे गए। तीसरी किंवदंती, पांडव राजकुमार अर्जुन के बारे में है। अपने निर्वासन के अंतिम वर्ष में उन्होंने शमी के पेड़ पर अपने हथियार छिपाए थे क्योंकि निर्वासन के नियमों के अनुसार यदि निर्वासन के अंतिम वर्ष के भीतर अगर किसी को पांडवों की पहचान का पता चलता है तो उन्हें और 14 वर्ष के लिए निर्वासन जारी रखना पड़ता। विजयादशमी उस दिन की याद दिलाती है जब अर्जुन शमी के पेड़ से हथियार निकालते थे क्योंकि उसका 14 साल का वनवास समाप्त हो जाता है। पूरे भारत में और दुनिया में हिंदुओं के बीच, यह त्योहार बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। साथ ही पारंपरिक रूप से इस दिन के साथ कई अनुष्ठान जुड़े हैं जो संस्कृति का एक हिस्सा बन गया है, लेकिन हमारे भारतीय विज्ञान के अनुसार इसके कुछ अन्य महत्व हैं।

1. किसी भी नए उद्यम को शुरू करने के लिए दशहरे को सबसे शुभ दिन माना जाता है जैसे कि एक नए घर या व्यावसायिक परिसर में प्रवेश करना या भूमि पूजन करना।

2. इस दिन आप अपने परिवार में नए सदस्य का नामकरण कर सकते हैं और शैक्षणिक अध्ययन भी शुरू कर सकते हैं।

3. इस शुभ दिन पर एक नया ब्रांड पंजीकृत करने से ब्रांड की शक्ति में बढ़ोतरी होती है।

4. इस दिन रामायण के सुंदरकांड का पाठ या राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।

5. इस दिन काम से संबंधित उपकरणों, जैसे किताबें, कंप्यूटर, वाहन, खाना पकाने के पैन और उन सभी उपकरणों की पूजा की जाती है जो हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

6. सेना के लोग इस दिन अपने हथियारों और आर्टिलरी की पूजा करते हैं।

7. नई संपत्ति खरीदना, सोना या अच्छी संपत्ति में निवेश करना फायदेमंद माना जाता है।

8. इस दिन शमी के पत्तों को बड़ों के बीच सोने के रूप में वितरित किया जाता है और आध्यात्मिक उत्थान के लिए उनका आशीर्वाद मांगा जाता है। यह सभी के बीच स्वर्ण या शुभ ऊर्जा के वितरण को दर्शाता है और सकारात्मकता की भावना को बढ़ावा देता है।

9. हमारे घरों के प्रवेश द्वार को रंगोली और फूलों से सजाया जाना चाहिए। इस प्रकार परिसर और हमारे जीवन के अंदर सकारात्मकता का स्वागत करना चाहिए।

10. घर के ईशान कोण में ज्ञान की देवी मां सरस्वती की एक प्रतिमा या यंत्र रखना चाहिए।

11. दशहरे पर श्री यंत्र (यन्त्रों के राजा) और कुबेर (धन के भगवान) की पूजा की जानी शुभ होती है। श्री यंत्र और कुबेर मूर्ति को परिसर के उत्तर और पूर्व क्षेत्रों के बीच रखा जाना चाहिए।

12. दिन की शुभ प्रकृति का लाभ उठाते हुए एक पारिवारिक फोटो को घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखा जाना चाहिए। इससे परिवार के भीतर सद्भाव और स्थिरता आती है।

13. व्यवसायी लोग इस दिन अपनी लेखांकन पुस्तकों की पूजा कर सकते हैं जिससे वर्ष के बाकी समय के लिए वित्तीय ताकत का संकेत दिया जा सके।

14. भविष्य की योजनाओं या लक्ष्यों से संबंधित कागजात या दस्तावेज पश्चिम में रखे जाने चाहिए।

वर्ष 2020 महत्वपूर्ण होगा क्योंकि दुर्गा पूजा के पंडाल खाली हैं और रामलीला के मैदान भी (जहां रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के प्रतीक बुराई के पुतले जलाए जाते) हैं। लेकिन सभी को अपने भीतर कम से कम एक बुरी आदत को जलाने और भविष्य के लिए तैयार होना चाहिए जिससे आने वाले शुभ अवसरों की उम्मीद की जा सके।

(वास्तु विशेषज्ञ डॉ. रविराज अहिरराव) 

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