इरादा: मन में चाहत और लगन हो, तो व्यक्ति राह की खोज कर ही लेता है
ईश्वर की पद्धति और नियम में जो उपयुक्त होता है वह उसे गले से लगाकर रखता है। आलसी प्रमादी कामी और नास्तिक व्यक्ति तो धरती पर भार स्वरूप होते हैं। वे अपने स्वभाव के कारण स्वयं का शरीर भी ढोने के काबिल नहीं होते हैं।
मंजिल पर पहुंचना मुश्किल नहीं है, परंतु उसके लिए इरादा मजबूत होना बहुत जरूरी है। मंजिल पर जाने के लिए हृदय में श्रद्धा और विश्वास हों, मन में चाहत और लगन हों तो व्यक्ति राह की खोज कर ही लेता है। ईश्वर भी ऐसे ही लोगों की सहायता करते हैं, क्योंकि वे सुपात्र हैं।
ईश्वर की पद्धति और नियम में जो उपयुक्त होता है, वह उसे गले से लगाकर रखता है। आलसी, प्रमादी, कामी और नास्तिक व्यक्ति तो धरती पर भार स्वरूप होते हैं। वे अपने स्वभाव के कारण स्वयं का शरीर भी ढोने के काबिल नहीं होते हैं। इसलिए हर जगह परिश्रमी व्यक्ति की खोज है। कर्मवादी व्यक्ति कभी भी भूखा नहीं मरता है।
संसार में प्राय: सभी मनचाही मंजिल को पाने में तत्पर रहते हैं, लेकिन मानव जीवन की सफलता के विषय में विरले ही सोच पाते हैं। यह जीवन क्यों मिला है? किसने यह जीवन दिया है? इस प्रश्न पर विचार करना और जीवन को सफल करने के लिए मंजिल की खोज करना ही मानव जीवन का अहम मुद्दा होना चाहिए।
हम सभी जानते हैं कि मानव तन बार-बार नहीं मिलता है। यह जन्म-जन्म के पुण्य की प्रबलता होने पर ही मिलता है। शास्त्रों के अनुसार यह जीवन ईश्वर भक्ति के लिए मिला है। इसी से ही जीवन सफल हो पाएगा। ईश्वर ने प्रकृति में प्राणियों के लिए हवा, पानी और प्रकाश की व्यवस्था की है। क्या व्यक्ति ईश्वर के इस अहसान को मान्यता देता है? जो व्यक्ति इसको समझते हैं, वे ही ईश्वर-भक्ति और सत्कार्य करते हैं।
ईश्वरीय विधान के अनुसार जो जैसा करता है, उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। जिनके अंदर इंसानियत है, वे ईश्वर भक्ति कर जीवन को सफल बनाते हैं। जिन्हें भक्ति नहीं करनी है, उनके तो बहाने अनगिनत हैं। संत कबीर के अनुसार-नदियां एक घाट बहु तेरे, कहे कबीर वचन के फेरे। इरादा नेक हो तो किसी भी पंथ या संप्रदाय के माध्यम से ईश्वर को पाना संभव है।
मुकेश ऋषि