Anant Chaturdashi 2021: जानिए, कब है अनंत चतुर्दशी का पर्व, शुभ मुहूर्त और पूजा का विधान

Anant Chaturdashi 2021 अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप के पूजन का विधान है। इसके साथ ही अनंत चतुर्दशी के दिन गणेशोत्सव का समापन होता है।

By Jeetesh KumarEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 02:12 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 02:12 PM (IST)
Anant Chaturdashi 2021: जानिए, कब है अनंत चतुर्दशी का पर्व, शुभ मुहूर्त और पूजा का विधान
जानिए, कब है अनंत चतुर्दशी का पर्व, शुभ मुहूर्त और पूजा का विधान

Anant Chaturdashi 2021: अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप के पूजन का विधान है। मान्यता है अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की विधि पूर्वक पूजन करने से दीर्ध आयु तथा अनंत जीवन वाले मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही अनंत चतुर्दशी के दिन गणेशोत्सव का समापन होता है। इस दिन भक्त गणपति बप्पा की मूर्तियों का विसर्जन करते हैं। इस साल अनंत चतुर्दशी का पर्व 19 सितंबर, दिन रविवार को पड़ रहा है। आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी पर्व की तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि....

अनंत चतुर्दशी की तिथि और मुहूर्त

सनातन परंपरा के अनुसार अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार चतुर्दशी की तिथि 19 सितंबर को सुबह 06 बजे से शुरू हो कर अगल दिन 20 सितंबर को सुबह 05 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। इसलिए 19 सितंबर को पूरे दिन अनंत चतुर्दशी का पूजन किया जा सकेगा।

अनंत चतुर्दशी की पूजन विधि

अनंत चतुर्दशी का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है, इस दिन भगवान विष्णु और गणेश जी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप के पूजन का विधान है। इस दिन लोग विधिपूर्वक विष्णु जी का व्रत रखते हैं तथा हाथों में अनंत सूत्र या अनंनता बांधते हैं। ये अनंत सूत्र दीर्ध आयु और अनंत जीवन का प्रतीक माना जाता है। पुरूष अपने दायें हाथ पर तथा स्त्रियां बांये हाथ पर अनंत सूत्र बांधती हैं।

इसके साथ ही अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणेशोत्सव का समापन होता है। इस दिन भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। भक्त गणपति बप्पा से सुख-समृद्धि की कामना के साथ अगले साल फिर आने की कामना करते हैं।

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