Ahoi Ashtami Vrat Katha: अहोई अष्टमी की पूजा करते समय जरूर पढ़ें यह व्रत कथा

Ahoi Ashtami Vrat Katha आज अहोई अष्टमी है। आज के दिन व्रत करने की प्रथा है। महिलाएं इस दिन अपने बच्चों की सलामती के लिए यह व्रत करती हैं। इस दिन अहोई अष्टमी की व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 08 Nov 2020 06:12 AM (IST) Updated:Sun, 08 Nov 2020 06:12 AM (IST)
Ahoi Ashtami Vrat Katha: अहोई अष्टमी की पूजा करते समय जरूर पढ़ें यह व्रत कथा
Ahoi Ashtami Vrat Katha: अहोई अष्टमी की पूजा करते समय जरूर पढ़ें यह व्रत कथा

Ahoi Ashtami Vrat Katha: आज अहोई अष्टमी है। आज के दिन व्रत करने की प्रथा है। महिलाएं अपने बच्चों की सलामती के लिए यह व्रत करती हैं। इस दिन अहोई अष्टमी की व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए। एक प्रचलित कथा के अनुसार, एक साहूकार अपने 7 बेटे, 7 बहुएं और एक बेटी के साथ रहता था। एक दिन साहूकार की बेटी दीपावली के दौरान साफ-सफाई कर रही थी। इसके लिए वो मिट्टी लेने अपने भाभियों के साथ जंगल गई। मिट्टी के लिए वो लड़की की खुरपी का इस्तेमाल कर रही थी। यह खुरपी वहां मौजूद एक स्याहू के बच्‍चे को लग गई। जब यह सब स्याहू की मां ने देखा तो उसे बेहद क्रोध आया। क्रोधित स्याहू की मां ने साहूकार की बेटी से उसकी कोख बांधने की बात रह डाली। जैसे ही साहूकार की बेटी ने यह सुना तो उसने अपने भाभियों से कहा कि उसकी जगह क्या उनमें से कोई एक अपनी कोख बंधवा सकता है। यह सुन साहूकार की बेटी की छोटी भाभी अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो गई।

यह देख स्याहू की माता का शाप उसकी भाभी को लगा। जब भी उसके कोई बच्चा होता तो उसे वो 7 दिन बाद खो देती यानी उस बच्चे की मृत्यु हो जाती। इस तरह वह अपने 7 बच्चों को खो चुकी थी। इससे वह काफी दुखी रहने लगी थी। बेहद परेशान होकर उसने पंडितों से इसका उपाय पूछा। इस पर पंडितों ने कहा कि अगर वो सुरही गाय की सेवा करे तो इससे उसे काफी लाभ मिलेगा। साहूकार की छोटी बहू ने सुरही गाय की सेवा रात-दिन शुरू कर दी। ऐसा करने से सुरही गाय बेहद प्रसन्न हो गईं। वो साहूकार की बहू को स्याहू माता के पास ले गई। लेकिन रास्ते में एक हादसा हो गया। रास्ते में बहू की नजर एक सांप पर पड़ी जो गरुण पंखनी के बच्‍चे को डसने वाली थी और उसकी ओर बेहद तेज बढ़ रही थी।

जब यह साहूकार की बहू ने देखा तो उसने सांप को मार दिया। यह देख साहूकार ने उस सांप को मार दिया। इतने में ही वहां गरुण पंखनी आ जाती है और वहां खून पड़ा देखती है। गरुण पंखनी को लगा कि उसके बच्चे को उस औरत ने मार डाला। क्रोधित होकर पंखनी ने उस औरत के सिर पर चोंच से वार कर दिया। तभी छोटी बहू ने उसे बच्चे के सुरक्षित होने की बात बताई। जब पंखनी ने यह सुना तो वह बेहद पछताई। इसके बाद गरुण पंखनी ने उसे स्वयं ही स्याहू माता के पास पहुंचा दिया। बहू के सेवा-भाव से प्रसन्न होकर स्याहू माता ने साहूकार की बहू की मनोकामना भी पूरी कीं।

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