Vivah Panchami 2021: विवाह पंचमी पर करें राम-जानकी के विवाह की कथा का पाठ, दूर होंगी विवाह की अड़चने

Vivah Panchami 2021 विवाह पंचमी का पर्व 08 दिसंबर बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन पूजन में राम-जानकी के विवाह की कथा का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। आइए जानते हैं राम जानकी विवाह की कथा....

By Jeetesh KumarEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 09:59 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 10:33 AM (IST)
Vivah Panchami 2021: विवाह पंचमी पर करें राम-जानकी के विवाह की कथा का पाठ, दूर होंगी विवाह की अड़चने
Vivah Panchami 2021: विवाह पंचमी पर करें राम-जानकी के विवाह की कथा का पाठ, दूर होंगी विवाह की अड़चने

Vivah Panchami 2021: मार्गशीर्ष या अगहन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम और माता जानकी का विवाह हुआ था। इस साल विवाह पंचमी का पर्व 08 दिसंबर, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन को हिंदू धर्मावलंबियों में बहुत शुभ माना जाता है। इस प्रभु श्री राम और माता जानकी का व्रत और पूजन करने से सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख और समृद्धि आती है। इसके साथ ही इस दिन पूजन में राम-जानकी के विवाह की कथा का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। आइए जानते हैं राम जानकी विवाह की कथा....

राम जानकी विवाह की कथा-

रामायण के अनुसार भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ के यहां हुआ था। मां सीता का जन्म मिथिला के राजा जनक के यहां हुआ था। इसलिए उन्हें जानकी भी कहा जाता है। कथा के अनुसार मां सीता राजा जनक को हल चलाते समय खेत में मिली थीं। एक बार सीता जी ने खेल-खेल में भगवान शिव का धनुष उठा लिया था। जो कि राजा जनक को परशुराम जी ने दिया था। यह देख कर राजा जनक हत प्रभ थे क्योकिं इस धनुष को उठाने की क्षमता केवल परशुराम जी के पास ही थी। सीता मां के यह गुण देख कर राजा जनक ने उनके स्वयंवर की शर्त रखी की जो कोई भी शंकर जी का धनुष उठा कर उसकी प्रत्यंचा चढ़ा सकेगा, सीता जी का उसी से विवाह होगा।

राजा जनक की ये शर्त सुन कर विश्वामित्र अपने साथ प्रभु श्री राम और लक्ष्मण को लेकर सीता स्वयंर में पहुंचे। स्वयंवर में पहुंचे हुए अन्य सभी राजकुमार और राजा शिव धनुष को नहीं उठा पा रहे थे। राजा जनक हताश होने लगे कि 'क्या कोई भी मेरी पुत्री के योग्य नहीं है?

इसके बाद प्रभु श्री राम का अवसर आया। राम जी ने एक बार में ही धनुष उठा लिया। ये देख कर सभी हतप्रभ रह गए। लेकिन जब भगवान श्री राम गुरू के कहने पर शिव धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने लगे। प्रत्यंचा चढ़ाने के प्रयास में शिव धनुष टूट गया। इससे नाराज हो कर स्वयं भगवान परशुराम श्री राम से प्रायश्चित करने को कहा। लेकिन श्री राम में भगवान विष्णु का रूप देखकर सीता जी से विवाह का आशीर्वाद दिया। सबके आशीर्वाद से श्री राम और माता जानकी का विवाह संपन्न हुआ। हिंदू धर्म और भारतीय समाज में राम-सीता की जोड़ी को आदर्श माना जाता है। विवाह पंचमी के दिन इस कथा का पाठ करने से विवाह में आने वाली बाधांए दूर होती हैं।

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