Vinayak Chaturthi: आज है विनायक चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त और कैसे करें पूजा

Vinayak Chaturthi आज अधिक आश्विन की चतुर्थी ति​थि है। इस मास के अधिपति विष्णु जी है लेकिन आज के दिन गणेश जी की पूजा की जाती है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 20 Sep 2020 06:00 AM (IST) Updated:Sun, 20 Sep 2020 09:27 AM (IST)
Vinayak Chaturthi: आज है विनायक चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त और कैसे करें पूजा
Vinayak Chaturthi: आज है विनायक चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त और कैसे करें पूजा

Vinayak Chaturthi: आज अधिक आश्विन मास की चतुर्थी ति​थि है। इस मास के अधिपति विष्णु जी है लेकिन आज के दिन गणेश जी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा करने से भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहती है। गणेश जी का नाम हर शुभ कार्य से पहले लिया जाता है। गणेश जी को विघ्नकर्ता कहते हैं। ये भक्तों के दुखों को हरते हैं। गणपति बप्पा को प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति विनायकी चतुर्थी और संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत करते हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आज अधिक आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। आज के दिन गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन गणेश मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के लिए कल्याणकारी सिद्ध हो सकता है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और राहुकाल।

आज का शुभ समय:

अभिजित मुहूर्त: दिन में 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक।

अमृत काल: देर रात 12 बजकर 16 मिनट से देर रात 01 बजकर 44 मिनट तक।

रवि योग: सुबह 06 बजकर 13 मिनट से दिन में 10 बजकर 22 मिनट तक।

विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 21 मिनट से दोपहर 03 बजकर 10 मिनट तक।

आज का राहुकाल: शाम 04:30 बजे से 06:00 बजे तक।

सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 13 मिनट

सूर्यास्त: शाम को 06 बजकर 25 मिनट

विनायक चतुर्थी का इस तरह रखें व्रत: इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई कर लें। फिर गंगाजल युक्त जल से स्नान करें और सभी कामों से निवृत्त हो जाएं। फिर गणेश जी के समक्ष व्रत का संकल्प लें। आज के दिन गणेश जी की दो बार पूजा की जाती है। एक बार दोपहर में और एक बार मध्याह्न में। सबसे पहले अपने सामर्थ्य अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद जहां आप पूजा करते हैं उसे गंगा जल से शुद्ध करें। गणेश जी को सिन्दूर चढ़ाएं। साथ ही उन्हें फल, फूल, अक्षत् अर्पित करें। फिर ॐ गं गणपतयै नम: बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। उनके सामने धूप-दीप जलाएं। गणेश जी की आरती करें और गणेश चालीसा का पाठ भी करें। फिर 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्‍डुओं का ब्राह्मण को दान दें। 5 लड्‍डू गणेश जी के चरणों में अर्पित कर दें। बाकी के प्रसाद के तौर पर बांट दें। विनायक चतुर्थी की व्रत कथा पढ़ें। साथ ही गणेश जी के मंत्रों का जाप करें। शाम के समय भोजन कर व्रत खोल लें।  

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