Surya Strotra: सूर्य के कल्याणमय स्त्रोत का करें जाप, सभी पापों से हो जाएंगे मुक्त

Suryadev Strotra आज रविवार है और आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है। आज के दिन भगवान सूर्य की स्तुति और अराधना की जाती है। सूर्यदेव इस सृष्टि के साक्षात भगवान हैं। वेदों के अनुसार सूर्य को जगत की आत्मा भी कहा गया है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 09:54 AM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 12:28 PM (IST)
Surya Strotra: सूर्य के कल्याणमय स्त्रोत का करें जाप, सभी पापों से हो जाएंगे मुक्त
Surya Strotra: सूर्य के कल्याणमय स्त्रोत का करें जाप, सभी पापों से हो जाएंगे मुक्त

Suryadev Strotra: आज रविवार है और आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है। आज के दिन भगवान सूर्य की स्तुति और अराधना की जाती है। सूर्यदेव इस सृष्टि के साक्षात भगवान हैं। वेदों के अनुसार, सूर्य को जगत की आत्मा भी कहा गया है। सूर्यदेव की अराधना पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। साथ ही उन्हें अर्घ्य भी दिया जाता है। इसके अलावा उनकी स्तुति और मंत्रों का भी जाप करते हैं। भगवान सूर्य की स्तुति तो सभी करते हैं लेकिन अगर सूर्यदेव का कल्याणमय स्तोत्र किया जाए तो बेहद शुभ होता है। यह कल्याणमय स्त्रोत सब स्तुतियों का सारभूत है। इस कल्याणमय स्त्रोत में भगवान भास्कर के पवित्र, शुभ एवं गोपनीय नाम शामिल हैं। इस स्त्रोत का जाप करने से शरीर निरोगी होती है। साथ ही यह धन की वृद्धि करने वाला और यश फैलाने वाला स्तोत्र है। इस स्त्रोत की तीनों लोकों में प्रसिद्धि है। ऐसे में सूर्यदेव की अराधना करते समय इस स्त्रोत का पाठ जरूर करना चाहिए। 

मान्यता है कि जो व्यक्ति सूर्य के उदय और अस्तकाल में सूर्यदेव की स्तुति करता है वो सभी पापों से मुक्त हो जाता है। तो आइए पढ़ते हैं सूर्यदेव का कल्याणमय स्त्रोत।

सूर्यदेव के 21 नाम:

विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।

लोक प्रकाशकः श्री माँल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥

लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।

तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥

गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।

एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥

अर्थ: विकर्तन, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर, रवि, लोकप्रकाशक, श्रीमान, लोकचक्षु, महेश्वर, लोकसाक्षी, त्रिलोकेश, कर्ता, हर्त्ता, तमिस्राहा, तपन, तापन, शुचि, सप्ताश्ववाहन, गभस्तिहस्त, ब्रह्मा और सर्वदेव नमस्कृत- इस प्रकार इक्कीस नामों का यह स्तोत्र भगवान सूर्य को सदा प्रिय है। 

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