Sawan Puja Samagri : सावन 25 जुलाई से शुरू हो रहा है, जानिये शिव पूजा में उपयोग होने वाली आवश्यक सामाग्री

Sawan Puja Samagri पुराणों के अनुसार सावन मास में भगवान शिव और माता धरती पर रहते हैं। ऐसे समय में भगवान शिव की पूजा और आराधना करने पर सभी मनोकामनाएं जल्द पूर्ण हो जाती हैं। सावन में शिव पूजा को लेकर बहुत सारी बातों का ख्याल रखना चाहिए।

By Ritesh SirajEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 08:12 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 08:12 AM (IST)
Sawan Puja Samagri : सावन 25 जुलाई से शुरू हो रहा है, जानिये शिव पूजा में उपयोग होने वाली आवश्यक सामाग्री
सावन 25 जुलाई से शुरू हो रहा है, जानिये शिव पूजा में उपयोग होने वाली आवश्यक सामाग्री

Sawan Puja Samagri : सावन माह को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सावन भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है। इस माह में भगवान शिव की पूजा से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। पुराणों के अनुसार सावन मास में भगवान शिव और माता धरती पर रहते है। ऐसे समय में भगवान शिव की पूजा और आराधना से करने पर सभी मनोकामनाएं जल्द पूर्ण हो जाती हैं। सावन में शिव पूजा को लेकर बहुत सारी बातों का ख्याल रखना चाहिए। इस पूजा विधि में क्या-क्या सामग्री होनी चाहिए। इस बात का विशेष रुप से ध्यान रखना चाहिए। आज हम शिव पूजा की सभी सामग्री के बारे में जानेंगे।  

सावन में भगवान शिव की पूजा में उपयोग होने वाले आवश्यक सामाग्री। शिवलिंग पर बेल पत्र, धतूरा, भांग, अक्षत, आक, जल, गंगा जल, गाय का दूध, दही, कनैल का फूल आदि सभी चीजें बारी-बारी से अर्पित करते हुए ॐ नमः शिवाय मंत्र का पाठ करें। इसके अलावा भगवान शिव को बहुत सारी चीजें भी अति प्रिय हैं जिन्हें पूजा की थाली में सजाना चाहिए जिसमें 51 बेलपत्र, शहद, शक्कर, घी, कपूर, रुइ की बत्ती, प्लेट, कपड़ा, यज्ञोपवीत, सूपारी, इलायची, लौंग, पान का पत्ता, भांग, रुद्राक्ष, भस्म, सफेद चंदन, धूप, दीया, नैवेद्य, मिठाई आदि शामिल है।

पूजा सामग्री के साथ-साथ हमें भगवान शिव के इन मंत्रों का जाप करना बहुत आवश्यक है। इससे भगवान शिव अपने भक्तों को ऊपर जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए हमें इन मंत्रों का जाप आवश्यक है।

 शिव के मंत्र

1. ॐ नमः शिवाय

2. नमो नीलकण्ठाय

3. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय

4. ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा

5. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

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