Satyanarayan Ji Ki Aarti: सत्यनारायण की पूजा करते समय जरूर पढ़ें यह आरती

Satyanarayan Ji Ki Aarti अधिकमास की पूर्णिमा 1 अक्टूबर यानी कल है। इस मास में आने वाली पूर्णिमा का महत्व बहुत ज्यादा होता है। मान्यता है कि इस दिन श्री लक्ष्मी नारायण की पूजा करने स्नान और दान का विधान है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 30 Sep 2020 06:00 AM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 06:42 AM (IST)
Satyanarayan Ji Ki Aarti: सत्यनारायण की पूजा करते समय जरूर पढ़ें यह आरती
सत्यनारायण की पूजा करते समय जरूर पढ़ें यह आरती

Satyanarayan Ji Ki Aarti: अधिकमास की पूर्णिमा 1 अक्टूबर यानी कल है। इस मास में आने वाली पूर्णिमा का महत्व बहुत ज्यादा होता है। मान्यता है कि इस दिन श्री लक्ष्मी नारायण की पूजा करने, स्नान और दान का विधान है। पूर्णिमा के दिन या फिर उससे एक दिन पहले यानी आज लोग श्रीसत्यनारायण व्रत करते हैं। इनकी कथा भी सुनी जाती है। स्नान करने के बाद श्री लक्ष्मी नारायण की पूजा की जाती है। वैसे तो इस दौरान नदी या सरोवर में स्नान करने का विधान है। लेकिन कोरोना के चलते इस बार लोग ऐसा नहीं कर पाएंगे।

श्रीसत्यनारायण, भगवान विष्णु के ही सत्य स्वरूप हैं। हिंदू धर्मावलंबियो के बीच यह सबसे प्रतिष्ठित व्रत है। कई लोग सत्यनारायण की पूजा तब करते हैं जब उनकी कोई मनोकामना पूर हो जाती है। वहीं, अधिक मास की पूर्णिमा के दिन भी सत्यनारायण की पूजा की जाती है। अगर आप भी सत्यनारायण की पूजा कर रहे हैं तो इनकी आरती कर पूजा जरूर संपन्न करें। इस लेख में हम आपको सत्यनारायण की आरती की जानकारी दे रहे हैं।

सत्यनारायण जी की आरती:

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।

सत्यनारायण स्वामी, जन-पातक-हरणा॥ जय लक्ष्मी... ॥

रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे।

नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे॥ जय लक्ष्मी... ॥

प्रकट भए कलिकारन, द्विज को दरस दियो।

बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो॥ जय लक्ष्मी... ॥

दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी।

चंद्रचूड़ इक राजा, तिनकी विपति हरी॥ जय लक्ष्मी... ॥

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्ही।

सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति किन्हीं॥ जय लक्ष्मी... ॥

भाव-भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धर्‌यो।

श्रद्धा धारण किन्ही, तिनको काज सरो॥ जय लक्ष्मी... ॥

ग्वाल-बाल संग राजा, बन में भक्ति करी।

मनवांछित फल दीन्हो, दीन दयालु हरि॥ जय लक्ष्मी... ॥

चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल मेवा।

धूप-दीप-तुलसी से, राजी सत्यदेवा॥ जय लक्ष्मी... ॥

सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे।

ऋषि-सिद्ध सुख-संपत्ति सहज रूप पावे॥ जय लक्ष्मी... ॥ 

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