Pradosh Vrat 2021: 2 दिसंबर को है प्रदोष व्रत, जानें-भगवान शिव की पूजा का समय और विधि

ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्ची श्रद्धा और भक्ति से प्रदोष व्रत के दिन शिवी जी और माता पार्वती की पूजा करते हैं। उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मार्गशीर्ष महीने का प्रदोष व्रत गुरुवार को है। इस दिन व्रत करने से शत्रुओं का दमन होता है।

By Umanath SinghEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 03:28 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 03:31 PM (IST)
Pradosh Vrat 2021: 2 दिसंबर को है प्रदोष व्रत, जानें-भगवान शिव की पूजा का समय और विधि
Pradosh Vrat 2021: 2 दिसंबर को है प्रदोष व्रत, जानें-भगवान शिव की पूजा का समय और विधि

Pradosh Vrat 2021: हिंदी पंचांग के अनुसार, वर्ष के प्रत्येक महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस प्रकार मार्गशीर्ष महीने में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 2 दिसंबर को है। इस दिन देवों के देव महादेव और आदिशक्ति मां पार्वती की पूजा उपासना करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्ची श्रद्धा और भक्ति से प्रदोष व्रत के दिन शिवी जी और माता पार्वती की पूजा करते हैं। उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मार्गशीर्ष महीने का प्रदोष व्रत गुरुवार को है। इस दिन व्रत करने से शत्रुओं का दमन होता है। अतः शत्रु विजय के लिए प्रदोष व्रत अवश्य करें। आइए, व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत महत्व जानते हैं-

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

इस दिन त्रयोदशी की तिथि 1 दिसंबर की रात्रि में 11 बजकर 35 मिनट पर त्रयोदशी शुरू होकर 2 दिसंबर को रात्रि 8 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 2 दिसंबर को दिनभर भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सबसे पहले शिव जी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात, नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आमचन कर अपने आप को शुद्ध करें। इसके बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। अब सबसे पहले भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य दें। तत्पश्चात, भगवान शिव जी एवं माता पार्वती की पूजा शिव चालीसा का पाठ, मंत्रों का जाप कर फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध, दही और पंचामृत से करें। अंत में आरती अर्चना कर भगवान शिव और माता पार्वती से अन्न, जल और धन की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। शाम में आरती अर्चना करें। फिर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''

chat bot
आपका साथी