Origin Of Gayatri Mantra: गायत्री मंत्र की कैसे हुई थी उत्पत्ति? इसके जाप के क्या होते हैं फायदे

Origin Of Gayatri Mantra देवी गायत्री को सनातन संस्कृति के धर्म शास्त्रों में बहुत महत्व दिया गया है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि गायत्री मंत्र को समझने मात्र से चारों वेदों के ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है। देवी गायत्री की आराधना से सभी मनोकामनाओं और मोक्ष की प्राप्ति है।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 10:47 AM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 07:18 AM (IST)
Origin Of Gayatri Mantra: गायत्री मंत्र की कैसे हुई थी उत्पत्ति? इसके जाप के क्या होते हैं फायदे
गायत्री मंत्र का जप मंगलकारी होता है।

Origin Of Gayatri Mantra: देवी गायत्री को सनातन संस्कृति के धर्म शास्त्रों में बहुत महत्व दिया गया है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि गायत्री मंत्र को समझने मात्र से चारों वेदों के ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है। देवी गायत्री की आराधना से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और मोक्ष की प्राप्ति है। देवी गायत्री को चारों वेदों की जन्मदात्री माना जाता है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस कारण वेदों का सार भी गायत्री मंत्र को माना जाता है। मान्यता है कि चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त करने के बाद जो पुण्य फल मानव को मिलता है, अकेले गायत्री मंत्र को समझने मात्र से चारों वेदों का ज्ञान मिल जाता है। गायत्री माता को सनातन संस्कृति की जन्मदात्री भी माना जाता है।

मान्यता है कि चारों वेद, शास्त्र और श्रुतियां की जन्मदात्री देवी गायत्री हैं। वेदों की जन्मदात्री होने के कारण इनको वेदमाता भी कहा जाता है। त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराध्य देवी भी इनको माना जाता है, इसलिए देवी गायत्री वेदमाता होने के साथ देवमाता भी हैं। गायत्री माता ब्रह्माजी की दूसरी पत्नी हैं, इनको पार्वती, सरस्वती, लक्ष्मी का अवतार भी कहा जाता है।

ऐसे हुआ था देवी गायत्री का विवाह

शास्त्रों में एक कथा है कि एक बार ब्रह्माजी यज्ञ में शामिल होने के लिए जा रहे थे। यज्ञ जैसे धार्मिक कार्यों में सपत्नी शामिल होने पर उसका पूरा फल मिलता है, लेकिन उस समय उनकी पत्नी सावित्री उनके साथ में नहीं थी, इसलिए यज्ञ में पत्नी के साथ शामिल होने के लिए उन्होंने देवी गायत्री से विवाह कर लिया।

गायत्री मंत्र का अवतरण

मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्मा जी पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था। इसके बाद ब्रह्मा जी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या देवी गायत्री की कृपा से अपने चारों मुखों से चार वेदों के रुप में की। प्रारंभ में गायत्री मंत्र सिर्फ देवताओं के लिए ही था। बाद में महर्षि विश्वामित्र ने अपने कठोर तप से गायत्री मंत्र को आमजनों तक पहुंचाया।

ओम भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं ।

भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।।

गायत्री मंत्र की महिमा अपरंपार

गायत्री मंत्र की महिमा अपरंपार है। इस मंत्र के जपने मात्र से कई तरह के पापों और कष्टों का नाश हो जाता है। गायत्री मंत्र के जाप से पुण्य फल में वृद्धि होती है और कार्यों में सफलता मिलती है। इसलिए शास्त्रों में गायत्री मंत्र के जाप का विधान बताया गया है। विशेष अवसरों पर इसको जपने से सिद्धियों की प्राप्ति हो सकती हैं। कारोबार, रोजगार, संतान की प्राप्ति से लेकर कष्टों से मुक्ति तक में गायत्री मंत्र का जाप फायदेमंद हो सकता है।

गायत्री मंत्र के लाभ

1. विद्यार्थियों को इस मंत्र का जाप करने से विद्या अध्ययन में बड़ी सफलता मिलती है। पढ़ाई में मन लगता है याददाश्त तेज होती है, जिससे परीक्षा में सफलता मिलती है। विद्यार्थी जीवन में सफलता के लिए गायत्री मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं।

2. कारोबार में सफलता के लिए भी गायत्री मंत्र काफी कारगर है। व्यापारियों के इस मंत्र का जाप करने से खर्चों पर नियंत्रण रहता है और आमदनी में इजाफा हो सकता है। इसके लिए शुक्रवार के दिन हाथी पर विराजमान गायत्री मंत्र का ध्यान कर 'श्रीं' का संपुट लगाकर जाप करने से धनलाभ हो सकता है।

3. संतान प्राप्ति के निए दंपत्ति को श्वेत वस्त्र धारण कर 'यौं' संपुट के साथ गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इस उपाय से संतान की प्राप्ति के साथ यदि संतान है और रोगी है तो रोगमुक्त हो सकता है।

4. शत्रु बाधा से छुटकारे के लिए अमावस्या, रविवार या मंगलवार को लाल वस्त्र धारण करते हुए देवी दुर्गा का ध्यान करते हुए ' क्लीं' मंत्र का संपुट तीन बार लगाते हुए गायत्री मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं।

5. विवाह में सफलता के लिए विवाह योग्य युवक और युवतियां पीले वस्त्र धारण कर माता पार्वती का ध्यान कर 'ह्रिं' का संपुट लगाकर गायत्री मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं। इससे विवाह की बाधाओं का निवारण हो सकता है।

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