Maa Durga Aarti: नवरात्रि में करें मां दुर्गा की यह प्रसिद्ध आरती, जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी...

Maa Durga Aarti नवरात्रि का पावन पर्व 07 अक्टूबर से प्रारंभ है। नवरात्रि के समय में पूजा करते समय सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की आरती जरूर करें। मां दुर्गा की प्रसिद्ध आरती जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी...तो सबको याद होती है।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Wed, 06 Oct 2021 08:00 AM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 05:08 AM (IST)
Maa Durga Aarti: नवरात्रि में करें मां दुर्गा की यह प्रसिद्ध आरती, जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी...
Maa Durga Aarti: नवरात्रि में करें मां दुर्गा की यह प्रसिद्ध आरती, होगी उन्नति और तरक्की

Maa Durga Aarti: नवरात्रि का पावन पर्व 07 अक्टूबर से प्रारंभ है। नवरात्रि में शक्तिस्वरुपा मां दुर्गा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा को अपनी भक्ति से प्रसन्न कर उनकी विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं। मां दुर्गा अपने भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य पूरी करती हैं। नवरात्रि के समय में पूजा करते समय सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की आरती जरूर करें। मां दुर्गा की प्रसिद्ध आरती जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी...तो सबको याद होती है। आरती करने से पूजा में होने वाली कमी दूर होती है। मां प्रसन्न होती हैं, जिससे उन्नति और तरक्की होती है।

नवरात्रि के समय में आप मां दुर्गा की आरती के लिए गाय के घी का दीपक या कपूर का प्रयोग करें। आरती करते हुए शंख, घंटी अवश्य बजाएं। ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।

मां दुर्गा की आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।।

जय अम्बे गौरी,...।

मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।

जय अम्बे गौरी,...।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।

जय अम्बे गौरी,...।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।

जय अम्बे गौरी,...।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।

जय अम्बे गौरी,...।

शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।

जय अम्बे गौरी,...।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।

मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।

जय अम्बे गौरी,...।

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।

जय अम्बे गौरी,...।

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।

जय अम्बे गौरी,...।

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।

जय अम्बे गौरी,...।

भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।

जय अम्बे गौरी,...।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।

जय अम्बे गौरी,...।

अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।

जय अम्बे गौरी,...।

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