Nag Panchami 2020: जानें कब और क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी, इस तरह करें पूजा

Nag Panchami 2020नाग पूजा की प्रथा हमारे देश में प्राचीनकाल से चली आ रही है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है और अगर किसी को नागों के दर्शन होते हैं तो उसे भी बेहद शुभ माना जाता है

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 10 Jul 2020 02:32 PM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 08:21 AM (IST)
Nag Panchami 2020: जानें कब और क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी, इस तरह करें पूजा
Nag Panchami 2020: जानें कब और क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी, इस तरह करें पूजा

Nag Panchami 2020: नागपूजा की प्रथा हमारे देश में प्राचीनकाल से चली आ रही है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है और अगर किसी को नागों के दर्शन होते हैं तो उसे भी बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन घर में गोबर से नाग बनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पूजा को करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और सर्पदंश का डर भी दूर होता है। बता दें कि भारतीय संस्कृति में नागों का बेहद ही अहम और बड़ा महत्व है। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में पचंमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार नाग पंचमी 25 जुलाई को है। तो चलिए जानते हैं कि नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है। 

कैसे करें नाग पंचमी की पूजा: नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पूजा किया जाता है। दीवार पर गेरू लगाकर पूजा का स्थान बनाया जाता है। साथ ही घर के प्रवेश द्वार पर नाग का चित्र भी बनाया जाता है। सुगंधित पुष्प, कमल व चंदन से नागदेव की पूजा की जानी चाहिए। खीर बनाई जाती है। इस खीर को ब्राह्मणों को परोसा जाता है साथ ही सांप को भी दिया जाता है। इसी खीर को प्रसाद के तौर पर खुद भी ग्रहण किया जाता है। सपेरों को दूध और पैसे भी दिए जाते हैं। 

इन बातों का रखें खास ख्याल: नागपंचमी के दिन नागों को दूध नहीं पिलाया जाता है। दूध से इनका अभिषेक किया जाता है। दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि नागों को दूध पिलाने से उनकी मृत्यु हो जाती है। इससे व्यक्ति को श्राप लगता है। कई जगहों पर चूल्हे पर तवा भी नहीं चढ़ाया जाता है क्योंकि कुछ लोग मानते हैं कि नाग का फन तवे जैसा होता है और चूल्हे पर तवे को रखना मतलब नाग के फन को जलाना होता है। साथ ही इस दिन मिट्टी की खुदाई भी नहीं की जाती है। 

क्यों मनाई जाती है नागपंचमी: भविष्यपुराण में पंचमी तिथि में नाग पूजा, इनकी उत्पत्ति और यह दिन खास क्यों है, इस बात का उल्लेख किया गया है। बताया गया है कि जब सागर मंथन हुआ था तब नागों को माता की आज्ञा न मानने के चलते श्राप मिला था। इन्हें कहा गया था कि राजा जनमेजय के यज्ञ में जलकर ये सभी भस्म हो जाएंगे। इससे सभी घबराए हुए नाग ब्राह्माजी की शरण में पहुंच गए। नागों ने ब्रह्माजी से मदद मांगी तो ब्रह्माजी ने बताया कि जब नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक होंगे तब वह सभी नागों की रक्षा करेंगे। ब्रह्माजी ने पंचमी तिथि को नागों को उनकी रक्षा का उपया बताया था। वहीं, आस्तिक मुनी ने भी नागों को यज्ञ में जलने से सावन की पंचमी को ही बचाया था। मुनि ने नागों के ऊपर दूध डालकर नागों के शरीर को शीतलता प्रदान की थी। इसके बाद नागों ने आस्तिक मुनि से कहा था कि जो भी उनकी पूजा पंचमी तिथि पर करेगा उन्हें नागदंश का भय नहीं रहेगा। तब से ही सावन की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है। 

chat bot
आपका साथी