Shani Dev Aarti: शनिवार को जरूर करें शनि देव की आरती, शीघ्र होते हैं शनि देव प्रसन्न

Shani Dev Aarti शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करने का विधान है। शनि देव की आरती करने से शनि देव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट और संकट दूर करते हैं। आइए जानते शनि देव की आरती और उसकी महिमा के बारे में...

By Jeetesh KumarEdited By: Publish:Sat, 26 Jun 2021 07:26 AM (IST) Updated:Sat, 26 Jun 2021 09:10 AM (IST)
Shani Dev Aarti: शनिवार को जरूर करें शनि देव की आरती, शीघ्र होते हैं शनि देव प्रसन्न
Shani Dev Aarti: शनिवार को जरूर करें शनि देव की आरती, शीघ्र होते हैं शनि देव प्रसन्न

Shani Dev Aarti: सूर्य देव और देवी छाया की संतान शनि देव न्याय और कर्मफल के देवता हैं, व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करने का विधान है। जिस व्यक्ति पर शनि की महादशा, साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो, उसे विधि- विधान से शनि देव की पूजा करने के बाद शनि देव की आरती जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि शनि देव की आरती करने से शनि देव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट और संकट दूर करते हैं। आइए जानते शनि देव की आरती और उसकी महिमा के बारे में...

शनि देव की आरती विधान और महिमा

हिंदू धर्म देवी- देवताओं की स्तुति और पूजन का एक प्रचलित रूप आरती भी है। नियमानुसार मंत्र जाप, पाठ या पूजा-आराधना के अंत में आरती की जाती है। शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि आरती का विधान है। मान्यता है कि शनिवार के दिन शनि चालीसा या शनि मंत्रों का पाठ करके शनि देव की आरती करने से शनि देव की किसी भी दशा का आप पर बुरा असर नहीं होगा। शनि देव की आरती सरसों के तेल के दीपक में काला तिल डाल कर करना चाहिए। अगर आपके घर के पास शनि देव का मंदिर न हो, तो शनिवार को पीपल के पेड़ या हनुमान मंदिर में भी शनि देव का पूजन किया जा सकता है। साथ ही शनिवार को सरसों के तेल का दान करना भी शुभ माना जाता है।

शनि देव की आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥

जय जय श्री शनि देव....

श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।

नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥

जय जय श्री शनि देव....

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।

मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥

जय जय श्री शनि देव....

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।

लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥

जय जय श्री शनि देव....

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।

विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥

जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।

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