Sawan Pradosh Vrat 2021: जानिए कब हैं सावन के प्रदोष व्रत और इस व्रत के विशेष लाभ
Sawan Pradosh Vrat 2021 पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रदोष का व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और सावन का माह शिव जी का प्रिय माह है। इसी कारण सावन के प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है।
Sawan Pradosh Vrat 2021: पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रदोष का व्रत विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन लोंग विशेष रूप से भगवान शंकर-पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं और पूजन करते हैं। सावन का माह भगवान शिव का प्रिय माह है। इसी कारण सावन के प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है। प्रत्येक माह की दोनों पक्ष की त्रयोदशी पर प्रदोष का व्रत रखने का विधान है। सावन का महीना 25 जुलाई से शुरू हो चुका है जो कि 22 अगस्त तक रहेगा। आइए जानते हैं इस साल सावन के दोनों प्रदोष व्रत की तिथि, मुहूर्त और उनका महत्व...
प्रदोष व्रत की तिथि और मुहूर्त
हिंदी पंचांग के अनुसार सावन का महीना 25 जुलाई से प्रारंभ हो चुका है और अभी कृष्ण पक्ष चल रहा है। तिथि के अनुसार कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 5 अगस्त दिन गुरूवार को पड़ेगा। जबकि शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 20 अगस्त दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। प्रदोष के दिन भगवान शिव और पार्वती का पूजन प्रदोष काल में करना सबसे उत्तम माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के 45 मिनट पहले से 45 मिनट बाद तक माना जाता है।
सावन के प्रदोष व्रत का महत्व
सावन के महीने का प्रत्येक दिन भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ होता है। लेकिन उनमें से भी कुछ विशेष दिनों पर शंकर जी का पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। सावन का प्रदोष व्रत उनमें से ही एक है। साथ ही इस साल सावन के दोनों प्रदोष व्रत गुरू प्रदोष और शुक्र प्रदोष होने के कारण और भी विशेष संयोग का निर्माण कर रहे हैं। गुरू प्रदोष का व्रत रखने से बृहस्पति ग्रह संबंधी दोष दूर होते हैं, पितरों का आशीर्वाद मिलता है और हर काम में सफलता प्राप्त होती है। वहीं शुक्र प्रदोष का व्रत रखने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। धन-संपदा की प्राप्ति के योग बनते हैं। इसे आलवा मान्यता है कि सावन के प्रदोष का व्रत रखने और कामेश्वर शिव का पूजन करने से उत्तम रूप और गुणवान पत्नि की प्राप्ति होती है।
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