Navratri 2020 Ghatasthapana: आज शारदीय नवरात्रि पर कैंसे करें घटस्थापना, जानें सामग्री एवं व्रत तिथि

Navratri 2020 Ghatasthapana आज से शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ हो गया है। आज घटस्थापना के दो मुहूर्त दी गए हैं। इसमें आप कलश स्थापना करें। जानें घटस्थापना की सामग्री सही विधि और नवरात्रि की तिथियों के बारे में।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 11:00 AM (IST) Updated:Sat, 17 Oct 2020 07:46 AM (IST)
Navratri 2020 Ghatasthapana: आज शारदीय नवरात्रि पर कैंसे करें घटस्थापना, जानें सामग्री एवं व्रत तिथि
File Photo: शारदीय नवरात्रि का आरंभ 17 अक्टूबर से होगा।

Navratri 2020 Ghatasthapana Vidhi: शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ आज से यानी 17 अक्टूबर दि​न शनिवार से हो रहा है। पहले दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना की जाएगी। इसके लिए सामग्री, घटस्थापना की सही विधि और व्रत की तिथियों के बारे में जानना जरुरी है। नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है। कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है। नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है। घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है। मान्यता है कि गलत समय में घट स्थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं। रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित करने की मनाही है।

ज्योतिषाचार्य अनीस व्यास के अनुसार, घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है। अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं, तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं। प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है। हालांकि इस बार घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

नवरात्रि का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होगा, जो 17 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में, चंद्रमा तुला राशि में विराजमान रहेंगे। नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात: 06 बजकर 23 मिनट से प्रात: 10 बजकर 12 मिनट तक है।

कलश स्थापना की सामग्री

मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है, इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें। इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए।

कलश स्थापना विधि

नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें। मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योति जलाएं। कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं। अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें। अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं। फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत् डालें। इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं। अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें। फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें। अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें, जिसमें आपने जौ बोएं हैं। कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है। आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं।

शारदीय नवरात्रि की तिथियां

17 अक्टूबर 2020 (शनिवार)- प्रतिपदा घटस्थापना

18 अक्टूबर 2020 (रविवार)- द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा

19 अक्टूबर 2020 (सोमवार)- तृतीय माँ चंद्रघंटा पूजा

20 अक्टूबर 2020 (मंगलवार)- चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा

21 अक्टूबर 2020 (बुधवार)- पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा

22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार)- षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा

23 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार)- सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा

24 अक्टूबर 2020 (शनिवार)- अष्टमी माँ महागौरी, दुर्गा महानवमी पूजा, दुर्गा महाअष्टमी पूजा

25 अक्टूबर 2020 (रविवार)- नवमी माँ सिद्धिदात्री, नवरात्रि पारण, विजयदशमी या दशहरा

डिसक्लेमर

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