Karwa Chauth 2021: आज है अखंड सौभाग्य का पर्व करवा चौथ, जानिए पूजा विधि और चंद्र अर्घ्य का मंत्र

Karwa Chauth 2021 आज पूरे देश में महिलाएं अखण्ड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही हैं। आइए जानते हैं वाराणसी के प्रसिद्ध धर्माचार्य के अनुसार करवा चौथ व्रत की पूजन विधि और चंद्र अर्घ्य मंत्रों के बारे में.....

By Jeetesh KumarEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 03:15 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 11:55 AM (IST)
Karwa Chauth 2021: आज है अखंड सौभाग्य का पर्व  करवा चौथ, जानिए पूजा विधि और चंद्र अर्घ्य का मंत्र
Karwa Chauth 2021: आज है अखंड सौभाग्य का पर्व करवा चौथ, जानिए पूजा विधि और चंद्र अर्घ्य का मंत्र

Karwa Chauth 2021: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में करवा चौथ के व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं अखण्ड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। करवा चौथ के दिन सुहागिन और विवाह योग्य लड़कियां सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जल व्रत रखती हैं। व्रत का पारण करवा माता और गौरी गणेश के पूजन के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर किया जाता है। इस साल करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर, रविवार के दिन रखा जाएगा। आइए जानते हैं वाराणसी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार करवा चौथ की व्रत और पूजन विधि और मंत्रों के बारे में.....

करवा चौथ व्रत की पूजन विधि

इस साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 23 अक्टूबर को रात्रि 12 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर, 24 अक्टूबर को रात्रि 2 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। इसलिए करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर, दिन रविवार को ही रखा जाएगा। इस दिन महिलाओं को सुबह सूर्योदय के काल में स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। दिन भर चंद्रोदय काल तक निर्जल व्रत करना चाहिए। करवा चौथ का पूजन चंद्रोदय के बाद किया जाता है। सबसे पहले गौरी-गणेश का पूजन किया जाता है, इसके बाद करवा माता या सौभाग्य दायिनी ललिता देवी का पूजन किया जाता है।

जल,धूप-दीप,नैवेद्य,रोली,अक्षत,पुष्प,दूब एवं पंचामृत से विधिवत गौरी-गणेश का पूजन कर हलवा-पूड़ी का भोग लगाना चाहिए। करवा माता को श्रृंगार का सामान और लाल चुनरी चढ़ाई जाती है। इसके बाद व्रत कथा का पाठ करके, करवा माता की आरती करनी चाहिए। व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देकर किया जाता है। चंद्रमा को जल,दूध,सफेद चन्दन,सफेद फूल,इत्र एवं मिश्री डालकर, पान,खड़ी सुपारी तथा अपने केश का एक कोना पकड़ कर अर्घ्य देना चाहिए। चलनी से चंद्रमा का दर्शन करने के बाद पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है।

करवा चौथ पूजन के मंत्र

गणेश जी के मंत्र -

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।

उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

गौरी मां का मंत्र -

देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि मे परम् सुखम्।सन्तान देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ।।

चन्द्र अर्घ्य का मत्रं -

एहि चन्द्र सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते ।

अनुकम्प्यम माम देव ग्रहाण अर्घ्यम सुधाकर:।।

सुधाकर नमस्तुभ्यम निशाकर नमोस्तुते।।

क्षमा प्रार्थना और फल प्राप्ति का मंत्र -

यद्क्षर पदभृष्टम मात्राहीनम च यद् भवेत सर्वम क्षम्यताम देवि त्राहिमाम शर्णागतम।। गतं दुखं गतं पापं गतं दारिद्र्यमेव च, आगतां सुख सम्पत्तिम सौभाग्यं देहि मे शिवे।।

अन्त में हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर अपने व्रत-पूजन को करवा माता के चरणों में समर्पित करनी चाहिए ।

डिसक्लेमर

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