Karwa Chauth 2021: चंद्रदर्शन से ही पूरा होता है करवा चौथ का व्रत, जानें अर्घ्य का मुहूर्त,विधि और मंत्र

Karwa Chauth 2021 करवा चौथ का व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही खोला जाता है। आइए जानते हैं करवा चौथ के पूजन में चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि मंत्र और चंद्रोदय के मुहूर्त के बारे में....

By Jeetesh KumarEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 06:48 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 09:46 PM (IST)
Karwa Chauth 2021: चंद्रदर्शन से ही पूरा होता है करवा चौथ का व्रत, जानें अर्घ्य का मुहूर्त,विधि और मंत्र
Karwa Chauth 2021: चंद्रदर्शन से ही पूरा होता है करवा चौथ का व्रत, जानें अर्घ्य का मुहूर्त विधि और मंत्र

Karwa Chauth 2021: सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए आज करवा चौथ का व्रत रख रही हैं। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत रख कर करवा माता और गौरी गणेश का पूजन करती हैं। इसके साथ ही करवा चौथ के पूजन में चंद्रमा का भी विशेष महत्व है। पूजन विधि के अनुसार करवा चौथ का व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही खोला जाता है। आइए जानते हैं करवा चौथ के पूजन में चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि, मंत्र और चंद्रोदय के मुहूर्त के बारे में....

चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि

करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है। इस दिन विशेष कर सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखती हैं। व्रत का पारण करवा माता, गौरी गणेश और शिव परिवार के पूजन के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दे कर ही किया जाता है। चंद्रमा को जल,दूध,सफेद चन्दन,सफेद फूल,इत्र एवं मिश्री डालकर शुद्ध पात्र से अर्घ्य दिया जाता है। करवा चौथ पर अर्घ्य हाथ में पान,खड़ी सुपारी तथा अपने केश का एक कोना पकड़ कर देना चाहिए। इसके बाद पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है।

चंद्रमा के अर्घ्य का मुहूर्त

करवा चौथ के पूजन के अनुसार चंद्रोदय के काल में चंद्रमा को अर्घ्य दे कर व्रत का पारण किया जाता है। चंद्रोदय हर शहर में स्थानीय समय के अनुसार होता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार दिल्ली में चंद्रोदय शाम को 08 बजकर 07 मिनट पर होने का अनुमान है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कल शाम से रोहणी नक्षत्र लगने के कारण चंद्रोदय का समय ही अर्घ्य देने के लिए सबसे शुभ है।

चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र

एहि चन्द्र सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते ।

अनुकम्प्यम माम देव ग्रहाण अर्घ्यम सुधाकर:।।

सुधाकर नमस्तुभ्यम निशाकर नमोस्तुते।।

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