Kamika Ekadashi 2021: आज है कामिका एकादशी, भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए करें यह काम

Kamika Ekadashi 2021 सावन माह की पहली एकादशी कामिका एकादशी होती है। यह श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। इस वर्ष कामिका एकादशी व्रत आज 04 अगस्त दिन बुधवार को है। कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 11:55 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 07:18 AM (IST)
Kamika Ekadashi 2021: आज है कामिका एकादशी, भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए करें यह काम
Kamika Ekadashi 2021: आज है कामिका एकादशी, भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए करें यह काम

Kamika Ekadashi 2021: सावन माह की पहली एकादशी कामिका एकादशी होती है। यह श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। इस वर्ष कामिका एकादशी व्रत आज 04 अगस्त दिन बुधवार को है। कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। व्रत रखते हुए पूजा के समय में कामिका एकादशी व्रत की कथा का श्रवण किया जाता है। भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

कामिका एकादशी 2021 पूजा मुहूर्त

एकादशी तिथि का प्रारंभ: 03 अगस्त दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से।

एकादशी तिथि का समापन: 04 अगस्त दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 17 मिनट पर।

सर्वार्थ सिद्धि योग: 04 अगस्त को प्रात: 05:44 बजे से 05 अगस्त को प्रात: 04:25 बजे तक।

कामिका एकादशी व्रत का पारण

कामिका एकादशी व्रत का पारण 05 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 45 मिनट से सुबह 08 बजकर 26 मिनट के मध्य होगा।

कामिका एकादशी के दिन पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती अवश्य करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आरती देवताओं का गुणगान है और उससे पूजा में जो कमी होती है, वह पूर्ण हो जाती है। इस वजह से पूजा के बाद आरती अवश्य करें।

भगवान विष्णु की आरती

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करें॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय...॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय...॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय...॥

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय...॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ओम जय...॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय...॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ओम जय...॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ओम जय...॥

जगदीश्वरजी की आरती, जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ओम जय...॥

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