Jitiya Vrat 2021 Puja Vidhi: पुत्र के दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए ऐसे करें जितिया पूजा, जानें सही विधि
Jitiya Vrat 2021 Puja Vidhi इस वर्ष जितिया व्रत 29 सितंबर दिन बुधवार को है। इस अवसर पर गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन की विधि विधान से पूजा की जाती है और जितिया व्रत की कथा सुनते हैं। आइए जानते हैं जितिया व्रत की तिथि एवं पूजा विधि के बारे में।
Jitiya Vrat 2021 Puja Vidhi: इस वर्ष जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत 29 सितंबर दिन बुधवार को है। इस दिन पुत्र के निरोगी, लंबी आयु, सुखी और सुरक्षित जीवन के लिए व्रत रखा जाता है। इस दिन माताएं पूरे एक दिन बिना जल और अन्न ग्रहण किए व्रत रखती हैं, ताकि उनका पुत्र सुखी और सुरक्षित रहे। इस व्रत को मुख्यत: बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस अवसर पर गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन की विधि विधान से पूजा की जाती है और जितिया व्रत की कथा सुनते हैं। आइए जानते हैं जितिया व्रत की तिथि एवं पूजा विधि के बारे में।
जितिया व्रत 2021 तिथि
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ आज शाम 06:16 बजे से हो रहा है, जो 29 सितंबर को रात 08:29 बजे तक है। ऐसे में जितिया व्रत 29 सितंबर को है।
जितिया व्रत 2021 पूजा विधि
जिन माताओं को जितिया व्रत रखना है। वे अष्टमी के दिन यानी 29 सितंबर को प्रात: स्नान आदि से निवृत होकर साफ वस्त्र पहन लें। उसके बाद जितिया व्रत एवं पूजन का संकल्प करें। इसके बाद शाम के समय प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पूर्व के समय में जीमूतवाहन की मूर्ति कुश से बना लें। फिर एक जलपात्र में उसे स्थापित करें ।
इसके बाद उनको लाल और पीली रुई अर्पित करें। वंश की सुरक्षा एवं वृद्धि के लिए जीमूतवाहन को धूप, दीप, बांस के पत्ते, अक्षत्, फूल, माला, सरसों का तेल और खल्ली अर्पित करें।
अब गाय के गोबर और मिट्टी से मादा सियार और मादा चील की मूर्ति बनाएं। उनको सिंदूर, खीरा और भींगे हुए केराव चढाएं। चील और सियारिन को चूड़ा-दही भी अर्पित करें। इसके बाद चिल्हो-सियारो की कथा या गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन और पक्षीराज गरुड़ की कथा सुनें। फिर पूजा के अंत में आरती करें।
पूजा मंत्र
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
व्रत वाले दिन व्रती को अन्न और जल का त्याग करना होता है, इसलिए जितिया व्रत निर्जला होता है। अगले दिन प्रात: काल स्नान आदि करके दैनिक पूजा करें। फिर सूर्योदय के बाद पारण करके जितिया व्रत को पूरा करें।
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