Jitiya Aarti & Mantra: जानिए, जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत की आरती और पूजन मंत्र

Jitiya Aarti Mantra जितिया या जीवित्पुत्रिका का व्रत 29 सितंबर दिन बुधवार को रखा जाएगा।जिताया व्रत के पूजन में जीमूतवाहन की व्रत कथा और आरती का पाठ करने का विधान है। आइए जानते हैं इस दिन के पूजन का मंत्र और आरती.....

By Jeetesh KumarEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 06:55 PM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 07:45 AM (IST)
Jitiya Aarti & Mantra: जानिए, जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत की आरती और पूजन मंत्र
जानिए, जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत की आरती और पूजन मंत्र

Jitiya Aarti & Mantra: अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जितिया या जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाता है। सुहागिन महिलाएं और माताएं संतान प्राप्ति और उनके दीर्घ आयु की कामना से जितिया का व्रत रखती हैं। इस दिन पौराणिक पात्र जीमूतवाहन का पूजन किया जाता है। जिन्होंने पक्षीराज गरूड़ से नागवंश की संतानों की रक्षा की थी और सभी को अभय दान प्रदान किया था। जीवित्पुत्रिका व्रत का वर्णन महाभारत में भी आता है। इसका संबध पाण्डवों के प्रपौत्र परिक्षित के मृत्यु के बाद पुनः जीवित होने से जोड़ते हैं।

इस साल जितिया या जीवित्पुत्रिका का व्रत 29 सितंबर, दिन बुधवार को रखा जाएगा। इस व्रत की शुरूआत सप्तमी तिथि के दिन नहाय-खाय से होती है। अष्टमी तिथि के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। व्रत का पारण नवमी तिथि के दिन सूर्योदय के बाद होता है। इस तरह ये व्रत तीन दिन तक चलता है। जिताया व्रत के पूजन में जीमूतवाहन की व्रत कथा और आरती का पाठ करने का विधान है। आइए जानते हैं इस दिन के पूजन का मंत्र और आरती.....

जितिया का पूजन मंत्र

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया की आरती

ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।

त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ ओम जय कश्यप...

सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।

दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ ओम जय कश्यप....

सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।

अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ ओम जय कश्यप...

सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।

विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ ओम जय कश्यप...

कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।

सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ ओम जय कश्यप...

नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।

वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ ओम जय कश्यप...

सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।

हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥ ओम जय कश्यप...

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