Janmashtami 2020 Puja Muhurat: आज रात है बाल कृष्ण का जन्मोत्सव, विशेष मुहूर्त में ऐसे करें पूजन

Janmashtami 2020 Puja Muhurat आज जन्माष्टमी है। हालांकि यह पर्व कल भी मनाया गया था लेकिन तिथि और नक्षत्र के अलग-अलग दिन होने पर जन्माष्टमी को दो दिन मनाया गया है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 06:00 AM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 07:09 PM (IST)
Janmashtami 2020 Puja Muhurat: आज रात है बाल कृष्ण का जन्मोत्सव, विशेष मुहूर्त में ऐसे करें पूजन
Janmashtami 2020 Puja Muhurat: आज रात है बाल कृष्ण का जन्मोत्सव, विशेष मुहूर्त में ऐसे करें पूजन

Janmashtami 2020 Puja Muhurat: आज जन्माष्टमी है। हालांकि, यह पर्व कल भी मनाया गया था लेकिन तिथि और नक्षत्र के अलग-अलग दिन होने पर जन्माष्टमी को दो दिन मनाया गया है। जन्माष्टमी के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें। अगर आप व्रत करना चाहते हैं तो व्रत या पूजा का संकल्प लें। ज्योतिषाचार्य दयानंद शास्त्री के अनुसार, अगर आप व्रत करें तो आप जलाहार या फलाहार ग्रहण करें। साथ ही सात्विक रहें। इस दिन रात 12 बजे यानी मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण की धातु की प्रतिमा लें और इसे किसी पात्र में रखें। श्रीकृष्ण की प्रतिमा को दूध, दही, शहद, शर्करा और आखिरी में घी से स्नान कराएं। बता दें कि इसी पंचामृत स्नान कहा जाता है।

इसके बाद सर्वप्रथम पूज्य गणेशजी की विधिवत पूजा करें। फिर श्रीकृष्ण की पूजा की तैयारी करें। पूजा करने से पहले आपको अपने हाथों को गंगाजल से धोना होगा। इसके बाद श्रीकृष्ण के हाथों के लिए जल अर्पित करना चाहिए।

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इस तरह करें भगवान श्रीकृष्ण का पूजन:

पूजन शुरू करने से पहले स्नान करें। इस दिन श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप यानी बाल गोपाल की पूजा करें। पूजा शुरू करने से पहले श्रीकृष्ण को पंचामृत और गंगाजल से स्नान जरूर करवाएं। स्नान के बाद भगवान को नए और सुंदर वस्त्र पहनाएं। फिर बाल गोपाल का श्रृंगार करें और उन्हें भोग लगाएं। फिर कृष्ण आरती गाएं। साथ ही श्रीकृष्ण के मंत्र कृं कृष्णाय नम: का जाप करते रहें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। पूजन में श्रीकृष्ण को दूर्वा, कुमकुम, चावल, अबीर, सुगंधित फूल और शुद्ध जल अर्पित करना चाहिए।

लड्डू गोपाल के अभिषेक के लिए शाम 5:40 से 6:04 बजे के बीच गौधूलि वेला का समय उत्तम होगा। गाय के दूध दही और माखन से बाल गोपाल का अभिषेक करें। जन्माष्टमी का व्रत चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही खोला जाता है। 11 अगस्त को जन्माष्टमी के दिन रात्रि 11:41 बजे होगा और 12 को रात 12:18 पर चंद्रोदय होगा। इस दिन लड्डू गोपाल का पीताम्बरी (पीले वस्त्र) और मोर पंख से श्रृंगार करें।

जन्माष्टमी पर विशेष पूजन व संकीर्तन का मुहूर्त:

लाभ अमृत मुहूर्त: सुबह 10:46 से दोपहर 2:05 तक

शुभ मुहूर्त: तीसरे पहर 3:44 से शाम 5:24 तक

लाभ मुहूर्त: रात 8:24 से रात 9:44 तक

जन्म, अभिषेक-आरती: मध्य रात्रि 12:04 से 12:47 तक

इस तरह करें प्रभु श्रीकृष्ण का श्रृंगार?

श्रीकृष्ण का श्रृंगार इस दौरान सबसे अमह है। इनके श्रृंगार में फूलों का इस्तेमाल जरूर करें। पीले रंग के वस्त्र, गोपी चन्दन और चन्दन की सुगंध से इनका श्रृंगार करें। ध्यान रखें कि वस्त्र से लेकर गहनों तक कुछ भी काले रंग का नहीं होना चाहिए। वैजयंती के फूल अगर कृष्ण जी को अर्पित किए जाएं तो बहुत अच्छा होता है।

प्रभु श्रीकृष्ण को प्रसाद में क्या करें अर्पित?

जन्माष्टमी के प्रसाद में पंचामृत श्रीकृष्ण को जरूर अर्पित करें। पंचामृत में तुलसी दल जरूर डालें। साथ ही मेवा, माखन और मिसरी का भोग बाल गोपाल को जरूर लगाएं। कई जगहों पर धनिए की पंजीरी भी बनाई जाती है और बाल गोपाल को अर्पित की जाती है। इस दिन श्रीकृष्ण को पूर्ण सात्विक भोजन अर्पित किए जाते हैं जिसमें तमाम तरह के व्यंजन होते हैं।

इस तरह करें मूर्ति का चुनाव?

सामान्यतः जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है। आप अपनी मनोकामना के आधार पर जिस स्वरूप में चाहें उस स्वरूप में मूर्ति स्थापित कर सकते हैं। प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधा-कृष्ण की, संतान के लिए बाल कृष्ण की और सभी मनोकामनाओं के लिए बंसी वाले कृष्ण की स्थापना करनी चाहिए। इस दिन शंख और शालिग्राम की स्थापना भी की जाती है। 

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