Motivational Story: अपने दायित्वों का कैसे करें निर्वहन? पढ़ें दो दीपक की प्रेरक कथा
Motivational Story किसी भी काम को करने में न रिश्वत लेनी चाहिए और न ही देनी चाहिए। सभी देशों की संस्कृति और आदर्श होते हैं। उनके आदर्शों के अनुरूप काम करने से ही देश के स्वाभिमान की रक्षा होती है।
Prerak Kahani : अपने किसी काम के लिए दूसरों की चीजों का व्यय नहीं करना चाहिए। हमें सदैव अपना काम पूरे ईमानदारी के साथ करना चाहिए। किसी भी काम को करने में न रिश्वत लेनी चाहिए और न ही देनी चाहिए। सभी देशों की संस्कृति और आदर्श होते हैं। उनके आदर्शों के अनुरूप काम करने से ही देश के स्वाभिमान की रक्षा होती है। आज हम ऐसे ही एक देश प्रेम की कहानी दो दिपक की कहानी का विस्तार से वर्णन करेंगे।
एक बार मगध साम्राज्य के सेनापति किसी व्यक्तिगत काम से चाणक्य से मिलने पाटलिपुत्र गए थे। शाम का समय हो चुका था और चाणक्य गंगा तट पर अपनी कुटिया में थे। वे दीपक के प्रकाश में कुछ लिख रहे थे। सेनापति जैसे ही भीतर दाखिल हुए वैसे ही चाणक्य ने सेवक को आवाज़ लगाकर कहा कि इस दीपक को लेकर जाइए और दूसरा दीपक जलाकर रख दीजिये।
चर्चा समाप्त होने के बाद सेनापति ने चाणक्य से पूछा महाराज मुझे एक बात समझ नहीं आई। मेरे आने के बाद आपने एक दीपक बुझवाकर ठीक वैसा ही दूसरा दीपक जलाकर रखने को क्यों कहा। सेनापति की बात सुनकर चाणक्य मुस्कुरा दिये। उन्होंने कहा कि आपके आने से पहले मैं राज्य का काम कर रहा था। और उस दीपक में राजकोष का ख़रीदा गया तेल था। परंतु जब जब मैंने आपसे बातचीत करना प्रारंभ किया तो अपना दीपक जलाया। क्योंकि यह बातचीत व्यक्तिगत थी। मुझे राज्य के धन को व्यक्तिगत कार्य में खर्च करने का कोई अधिकार नही है।
कहानी की शिक्षा
जीवन में कभी भी किसी चीज का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। हमेशा अपने पद की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए
डिसक्लेमर
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'