Ganesh Visarjan 2019: भगवान गणेश की मूर्ति को जल में क्यों विसर्जित करते हैं? महाभारत से जुड़ी है घटना
Ganesh Visarjan 2019 Ganesh Visarjan Katha भगवान गणपति की मूर्ति का अनंत चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त में जल में विसर्जन कर दिया जाता है।
Ganesh Visarjan 2019: भगवान गणपति की मूर्ति का गणेश चतुर्थी के दिन विधि विधान से स्थापना होती है और अनंत चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त के अनुसार उसका जल में विसर्जन कर दिया जाता है। आज अनंत चतुर्दशी है, आज देशभर में गणेश जी की मूर्तियों को विसर्जित कर दिया जाएगा। 10 दिनों तक गणपति बप्पा की विधि विधान से पूजा-अर्चना और सेवा करने के बाद उनकी मूर्ति को जल में विसर्जित क्यों करते हैं, इसका उत्तर महाभारत से जुड़ा है। आइए जानते हैं इसका कारण क्या है—
गणेश विसर्जन की कथा/Ganesh Visarjan Katha
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वेद व्यास जी ने गणेश जी को गणेश चतुर्थी से 10 दिनों तक महाभारत की कथा सुनाई थी, जिसे गणेश जी ने बिना रुके लिपिबद्ध कर दिया। 10 दिनों के बाद जब वेद व्यास जी ने अपनी आंखें खोली, तो पाया कि अथक परिश्रम के कारण गणेश जी के शरीर का तापमान बहुत बढ़ गया है।
उन्होंने तुरंत गणेश जी को पास के ही एक सरोवर में ले उनके शरीर को शीतल किया। इससे उनके शरीर का तापमान सामान्य हो गया। इस कारण से ही अनंत चतुर्दशी को गणेश जी की मूर्तियों को जल में विसर्जित किया जाता है।
वेद व्यास जी ने गणपति बप्पा के शरीर के तापमान को कम करने के लिए उनके शरीर पर सौंधी मिट्टी का लेप लगा दिया। लेप सूखने से गणेश जी का शरीर अकड़ गया। इससे मुक्ति के लिए उन्होंने गणेश जी को एक सरोवर में उतार दिया।
फिर उन्होंने गणेश जी की 10 दिनों तक सेवा की, मनपसंद भोजन आदि दिए। इसके बाद से ही गणेश मूर्ति की स्थापना और विसर्जन प्रतीक स्वरूप होने लगा।