कोरोना के कारण स्थगित हो सकता है गणेशोत्सव, जानें-कैसे कर पाएंगे बप्पा के दर्शन

हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को गणेश जयंती मनाई जाती है। इस साल 22 अगस्त को गणेश जयंती है। हालांकि मुंबई में इस साल गणेश पूजन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

By Umanath SinghEdited By: Publish:Tue, 02 Jun 2020 06:01 PM (IST) Updated:Wed, 03 Jun 2020 05:08 PM (IST)
कोरोना के कारण स्थगित हो सकता है गणेशोत्सव, जानें-कैसे कर पाएंगे बप्पा के दर्शन
कोरोना के कारण स्थगित हो सकता है गणेशोत्सव, जानें-कैसे कर पाएंगे बप्पा के दर्शन

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को गणेश जयंती मनाई जाती है। इस साल 22 अगस्त को गणेश जयंती है। हालांकि, मुंबई में इस साल गणपति पूजन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हाल ही में गौड़ सारस्वत ब्राह्मण समुदाय और खेतवाड़ी के 21 गणेश मंडलों ने कोरोना वायरस महामारी के चलते भाद्रपद में मनाई जाने वाली गणेश जयंती को स्थगित करने का फैसला लिया है।

इस बारे में गौड़ सारस्वत ब्राह्मण समुदाय का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते गणेश पूजन के लिए स्थिति अनुकूल नहीं है। ऐसे में इस उत्सव को फरवरी मध्य तक स्थगित करने का फैसला किया गया है। अब गणेश जयंती अगले साल 15 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन माघी गणेश जयंती है। इस बात की पुष्टि बृहन्मुंबई सार्वजनिक गणेशोत्सव समन्वय समिति ने भी की है।

खबर है कि मुंबई में गणेशोत्सव के आयोजन में कई नए नियम बनाए जाएंगे, जिनमें कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के साथ-साथ मूर्ति के आकार और विसर्जन के नए नियम होंगे। इसके साथ ही भक्तों से दान न देने की सलाह दी जाएगी, क्योंकि इस महामारी के चलते लोगों की नौकरी छूट गई है। विसर्जन के लिए केवल चार लोगों को अनुमति दी जाएगी। जबकि दान न देकर केवल दर्शन करने का प्रावधान होगा।

गौरतलब है कि मुंबई में गणेशोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर लाल बाग़ का राजा आकर्षण का केंद्र रहता है। लाल बाग़ के राजा के दर्शन हेतु देश-विदेश से लोग आते हैं। बॉलीवुड कलाकार भी गणेश जी के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

इसके अलावा, गणेश जयंती के दिन महाराष्ट्र के सभी घरों में गणेश जी की स्थापना कर पूजा-उपासना की जाती है। इस मौके पर लोग बप्पा को एक, पांच और ग्यारह दिन के लिए लाते हैं और उनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं। जबकि लाल बाग़ का राजा 10 दिनों तक अपने भक्तों के साथ रहते हैं और 11 वें दिन विसर्जन होता है।

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