Ganesh Chaturthi: गणेश जी कैसे बने गजानन, पढ़ें इससे संबंधित ये दो रोचक कथाएं

Ganesh Chaturthi 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी है। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश जी को यह दिन समर्पति है। बिना इनका नाम लिए कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 15 Aug 2020 07:30 AM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 03:22 PM (IST)
Ganesh Chaturthi: गणेश जी कैसे बने गजानन, पढ़ें इससे संबंधित ये दो रोचक कथाएं
Ganesh Chaturthi: गणेश जी कैसे बने गजानन, पढ़ें इससे संबंधित ये दो रोचक कथाएं

Ganesh Chaturthi: 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी है। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश जी को यह दिन समर्पति है। बिना इनका नाम लिए कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। हाल ही में हमने आपको गणेश जी की रचना कैसे हुई इसकी जानकारी दी थी। वहीं, आज हम आपको गणेश जी के सिर पर हाथी का सिर कैसे लगा इसकी रोचक कथा सुना रहे हैं। हालांकि, पुराणों में इसके लिए दो कथाओं का वर्णन किया गया है। गणेश जी से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। जागरण आध्यात्म आपके लिए गणेश चतुर्थी तक इनसे जुड़ी 5 कथाओं की जानकारी लाएगा। आज हम आपको दूसरी कथा सुना रहे हैं जिसमें यह बताया गया है कि गणेश जी के सिर पर गजानन का सिर कैसे लगा। तो चलिए पढ़ते हैं ये रोचक कथाएं।

मान्यताओं के अनुसार, शिशु गणेश पर शनि की दृष्टि पड़ने से उनका सिर जलकर भस्म हो गया था। यह देख माता पार्वती बेहद दुखी और व्याकुल हो गई थीं। दुखी माता पार्वती ने ब्रह्मा जी ने कहा, सबसे पहले जिसका भी सिर मिले उसे गणेश के सिर पर लगा दो। ऐसे में सबसे पहला सिर हाथी के बच्चे का मिला और इसके सिर को गणेश के धड़ से पर लगा दिया गया। इस प्रकार गणेश गजानन बन गए।

इसी को लेकर स्कंद पुराण में एक और कथा वर्णित की गई है जिसके अनुसार, माता पार्वती जी स्नान करने जा रही थीं। उन्होंने गणेश जी को द्वार पर बिठा दिया। इसी बीच शिवजी ऐ गए। वो पार्वती जी के भवन में प्रवेश करने लगे। लेकिन गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। इस पर शिवजी बेहतर क्रोधित हो गए। क्रोध में आकर उन्होंने गणेश जी का सिर काट दिया। गणेश जी की उत्पत्ति पार्वती जी ने चंदन के मिश्रण से की थी। जब पार्वतीजी को पता चला कि शिव जी ने उनके पुत्र का सिर काट दिया है तो उस पर वो बेहद क्रोधित हो गईं। उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर लिया और गणेशजी के सिर पर लगा दिया। इससे गणेश जी जीवित हो गए।  

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