Vishnu Ji Ki Aarti: आज गुरुवार को करें भगवान विष्णु की आरती, व्रत का मिलेगी पूर्ण फल

Vishnu Ji Ki Aarti भगवान विष्णु की पूजा करते समय अंत में आरती करने का विधान है। आरती करने से पूजा पूर्ण होती है। यदि आप गुरुवार का व्रत हैं तो आप शाम को भगवान विष्णु की आरती करना न भूलें।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 12:56 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 12:56 PM (IST)
Vishnu Ji Ki Aarti: आज गुरुवार को करें भगवान विष्णु की आरती, व्रत का मिलेगी पूर्ण फल
Vishnu Ji Ki Aarti: आज गुरुवार को करें भगवान विष्णु की आरती, व्रत का मिलेगी पूर्ण फल

Vishnu Ji Ki Aarti: आज गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। विवाह में आने वाली बाधा को दूर करना हो या फिर कुंडली में गुरु की स्थिति को मजबूत करना हो, ज्योतिषाचार्य गुरुवार का व्रत करने की सलाह देते हैं। आज गुरुवार के दिन जो लोग व्रत रहते हैं, वे लोग केले के पौधे की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, केले के पौधे में भगवान विष्णु का वास होता है। भगवान विष्णु की पूजा करते समय अंत में आरती करने का विधान है। आरती करने से पूजा पूर्ण होती है। ऐसी मान्यता है कि पूजा में जो त्रुटि होती है, वह आरती करने से पूर्ण हो जाती है, इसलिए आरती किया जाता है। यदि आप गुरुवार का व्रत हैं, तो आप शाम को भगवान विष्णु की आरती करना न भूलें।

भगवान विष्णु की आरती

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥

ओम जय जगदीश हरे...॥

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