Suryadev Aarti And Mantra: सूर्यदेव की पूजा करते समय जरूर करें आरती और मंत्रों का जाप, बनी रहती है कृपा

Suryadev Aarti And Mantra आज रविवार है। आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है। मान्यता है कि आज के दिन सूर्यदेव की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने से वो भगवान खुश हो जाते हैं

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 11:30 AM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 11:30 AM (IST)
Suryadev Aarti And Mantra: सूर्यदेव की पूजा करते समय जरूर करें आरती और मंत्रों का जाप, बनी रहती है कृपा
Suryadev Aarti And Mantra: सूर्यदेव की पूजा करते समय जरूर करें आरती और मंत्रों का जाप, बनी रहती है कृपा

Suryadev Aarti And Mantra: आज रविवार है। आज का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है। मान्यता है कि आज के दिन सूर्यदेव की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने से वो भगवान खुश हो जाते हैं और व्यक्ति को जीवन में शांति, सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यह भी कहा जाता है कि सूर्यदेव को नमस्कार करना बेहद फलदायी होता है। रविवार को सूर्यदेव की पूजा करते समय उनकी आरती सुननी या पढ़नी चाहिए। इससे व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है। तो आइए पढ़ते हैं सूर्यदेव की आरती, रविवार की आरती और सूर्यदेव के मंत्र।

श्री सूर्य देव की आरती:

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव।

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

रजनीपति मदहारी, शतदल जीवनदाता।

षटपद मन मुदकारी, हे दिनमणि दाता॥

जग के हे रविदेव, जय जय जय रविदेव।

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

नभमंडल के वासी, ज्योति प्रकाशक देवा।

निज जन हित सुखरासी, तेरी हम सबें सेवा॥

करते हैं रविदेव, जय जय जय रविदेव।

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

कनक बदन मन मोहित, रुचिर प्रभा प्यारी।

निज मंडल से मंडित, अजर अमर छविधारी॥

हे सुरवर रविदेव, जय जय जय रविदेव।

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

श्री रविवार की आरती:

कहुं लगि आरती दास करेंगे,

सकल जगत जाकि जोति विराजे।

सात समुद्र जाके चरण बसे,

काह भयो जल कुंभ भरे हो राम।

कोटि भानु जाके नख की शोभा,

कहा भयो मंदिर दीप धरे हो राम।

भार अठारह रामा बलि जाके,

कहा भयो शिर पुष्प धरे हो राम।

छप्पन भोग जाके प्रतिदिन लागे,

कहा भयो नैवेद्य धरे हो राम।

अमित कोटि जाके बाजा बाजें,

कहा भयो झनकारा करे हो राम।

चार वेद जाके मुख की शोभा,

कहा भयो ब्रह्मावेद पढ़े हो राम।

शिव सनकादिक आदि ब्रह्मादिक,

नारद मुनि जाको ध्यान धरे हो राम।

हिम मंदार जाके पवन झकोरें,

कहा भयो शिव चंवर ढुरे हो राम।

लख चौरासी बंध छुड़ाए,

केवल हरियश नामदेव गाए हो राम।

भगवान सूर्य के मंत्र:

1. ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:

2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।

5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।

6. ॐ सूर्याय नम: ।

7. ॐ घृणि सूर्याय नम: ।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '  

chat bot
आपका साथी