लोकसभा चुनाव: टोंक-सवाई माधोपुर संसदीय क्षेत्र में पानी, बजरी ही मुद्दा, ना राष्ट्रवाद और ना योजनाओं की चर्चा

लोकसभा चुनाव के दौरान राजस्थान के अधिकांश इलाकों में राष्ट्रवादपीएम नरेंद्र मोदी और अशोक गहलोत सरकार की योजनाएं मुद्दा बनी हुई है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Fri, 26 Apr 2019 11:10 AM (IST) Updated:Fri, 26 Apr 2019 11:10 AM (IST)
लोकसभा चुनाव: टोंक-सवाई माधोपुर संसदीय क्षेत्र में पानी, बजरी ही मुद्दा, ना राष्ट्रवाद और ना योजनाओं की चर्चा
लोकसभा चुनाव: टोंक-सवाई माधोपुर संसदीय क्षेत्र में पानी, बजरी ही मुद्दा, ना राष्ट्रवाद और ना योजनाओं की चर्चा

जयपुर, जागरण संवाददाता। लोकसभा चुनाव के दौरान राजस्थान के अधिकांश इलाकों में राष्ट्रवाद,पीएम नरेंद्र मोदी और अशोक गहलोत सरकार की योजनाएं मुद्दा बनी हुई है। वहीं प्रदेश का टोंक-सवाई माधोपुर संसदीय क्षेत्र में पानी,रेल और बजरी तीन बड़े मुद्दे बने हुए है। दो जिलों टोंक और सवाई माधोपुर को मिलाकर बनाए गए इस संसदीय क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में तीन से चार दिन में पानी की आपूर्ति होती है। लोगों को या तो खरीदकर पानी पीना पड़ता है या फिर तीन से चार किलोमीटर दूर पैदल चलकर कुओं से पानी लाना पड़ता है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक शहर में चार दिन में एक बार और सवाई माधोपुर में तीन दिन में एक बार पानी की आपूर्ति  जलदाय विभाग द्वारा की जाती है ।

तीन से चार दिन में होती है पानी की आपूर्ति 

टोंक शहर के मुस्ताक अहमद कहते है कि कॉलोनी टैंकरों के पानी पर निर्भर है। मौजूदा सांसद तो यहां कभी आए ही नहीं। इस बार पूरा हिसाब लेंगे। लोग कई बार सांसद से ट्यूब वैल खुदवाने को लेकर सांसद कोटे से मदद मांगने गए,लेकिन उन्होंने सुनी नहीं।

उनियारा विधानसभा क्षेत्र के ककोड़ गांव निवासी बद्रीलाल और रामेश्वर ने कहा कि 200 गांवों की लाइफ लाइन बीसलपुर नहर है, सूखी पड़ी है। पीने का पानी भी नहीं है। टोंक में रेल सबसे बड़ा मुद्दा है। 10 साल से इसकी बात हो रही है। नेता हर चुनाव में रेल लाइन बिछाने और पानी की समस्या का समाधान करने की बात कहते है,लेकिन होता कुछ भी नहीं है।

आंवा गांव निवासी प्रभुलाल का कहना है कि पानी की समस्या के कारण गांवों की महिलाएं बीमार रहने लगी है। महिलाओं को सर्दी,गर्मी और बारिश में तीन से चार किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाना पड़ता है। जलदाय विभाग की व्यवस्था ठप्प है। टोंक के महेंद्र,धीरज गुर्जर और प्रताप जाट का कहना है कि पहले यहां 600 से 700 रु. में बजरी का ट्रैक्टर मिल जाता था।अब 3000 रु. में भी नहीं मिलता।

गांव के ज्यादातर लोग बजरी परिवहन से जुड़े थे। बजरी खनन पर बैन से रोजगार छिन गया। वहीं बजरी का अवैध खनन करने वालों का आतंक जबरदस्त है । टोंक-सवाई माधोपुर दोनों जिलों का यही हाल है । लोगों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने बजरी के खनन पर रोक लगा दी,अवैध खनन करने वालों की चांदी हो रही है । गांवों में अधिकांश लोग बजरी खनन के काम से जुड़े हुए थे अब पलायन कर रहे है ।

कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज मैदान में

भाजपा ने एक बार फिर सुखबीर जौनपुरिया को मैदान में उतारा है। वे वर्तमान में सांसद है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा को टिकट दिया है। जौनपुरिया के पक्ष में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित कई बड़े नेता प्रचार कर चुके है। उधर मीणा के पक्ष में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित अन्य नेता तीन सभा कर चुके है।  

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