Mission 2023: वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया ने राजस्थान में भाजपा को सत्ता में लाने का लिया संकल्प

Rajasthan Politics राजस्थान भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में जीतने का संकल्प दोहराया। वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि अगली सरकार भाजपा की बने इसके लिए मिलकर काम करेंगे। राज्य भाजपा की दो दिवसीय कार्यसमिति की बैठक में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाई गई

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 09:33 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 09:33 PM (IST)
Mission 2023: वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया ने राजस्थान में भाजपा को सत्ता में लाने का लिया संकल्प
वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया ने राजस्थान में भाजपा को सत्ता में लाने का लिया संकल्प। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान भाजपा ने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार अपने चुनावी वादों पर खरा नहीं उतरी है। सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है। भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में जीतने का संकल्प दोहराया। वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि अगली सरकार भाजपा की बने इसके लिए मिलकर काम करेंगे। राज्य भाजपा की दो दिवसीय कार्यसमिति की बैठक में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाई गई। प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि भाजपा को सत्ता में लाने और सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए सभी एकजुट होकर काम करेंगे। बैठक में पारित किए गए राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि इतिहास में पहली बार हुआ है, जब सरकार के पास तीन साल में जर्जर अर्थव्यवस्था, ठहरा हुआ विकास व लचर कानून व्यवस्था के सिवाय गिनाने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है।

गहलोत सरकार के खिलाफ जारी किया ब्लैकपेपर 

उन्होंने कहा कि सरकार की नींव ही अतर्कलह पर टिकी थी। इसका परिणाम रहा कि सरकार को 34 दिन तक होटल में कैद रहना पड़ा। नेताओं ने किसान कर्ज माफी, बेरोजगारी, बिजली और पानी के बिलों में बढ़ोतरी को लेकर सरकार को घेरा। इस मौके पर पूनिया ने चुटकी लेते हुए कहा कि कांग्रेस के महान आविष्कारक राहुल गांधी राजस्थान में किसानों और बेरोजगारों से वादा कर के गए थे, लेकिन वह अब तक पूरा नहीं हुआ। प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में पाखंड करती है, लेकिन राजस्थान के युवाओं के साथ इंसाफ नहीं करती है। महिलाओं पर अत्याचार देश में सबसे ज्यादा राजस्थान में हो रहे हैं। बैठक में गहलोत सरकार के खिलाफ ब्लैकपेपर भी जारी किया गया, जिसमें विभिन्न विषयों पर सरकार को नाकाम बताया गया।

राजस्थान में वसुंधरा राजे की देव दर्शन यात्रा में आधा दर्जन सांसद, विधायक, पूर्व विधायक और कार्यकर्ता तो बड़ी संख्या में जुटे, लेकिन संगठन के पदाधिकारियों ने दूरी बनाए रखी। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश नेतृत्व ने संगठन के जिला व मंडल पदाधिकारियों को वसुंधरा की यात्रा से दूरी बनाकर रखने का संदेश दिया था। हालांकि इस संदेश के बावजूद कुछ नेता वसुंधरा को चेहरा दिखाने पहुंचे, जिन्हें बाद में प्रदेश नेतृत्व की फटकार सुननी पड़ी। पिछले तीन साल से पार्टी नेतृत्व ने वसुंधरा को राज्य के संगठनात्मक निर्णयों से दूर रखा। वह खुद भी विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव और पंचायती राज संस्थाओं व स्थानीय निकाय चुनाव अभियान से दूर ही रही। अब जब विधानसभा चुनाव में दो साल का समय शेष बचा है तो वसुंधरा सक्रिय हो गईं। उन्होंने "देव दर्शन यात्रा" के जरिए पार्टी नेतृत्व को अपनी ताकत का अहसास कराने का प्रयास किया था।

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