Unique Campaign: राजस्थान में दो आइएएस अधिकारी बच्चों को सुरक्षित और सशक्त बनाने का चला रहे अभियान
Rajasthan दो आइएएस अधिकारी बच्चों को सुरक्षित और सशक्त बनाने में जुटे हैं। इनमें से एक प्रमुख सचिव नवीन जैन बच्चों को गुड टच बैड टच के बारे में बताकर उन्हें सुरक्षित बनाने की मुहिम चला रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान के दो आइएएस अधिकारी बच्चों को सुरक्षित और सशक्त बनाने में जुटे हैं। इनमें से एक प्रमुख सचिव नवीन जैन बच्चों को गुड टच, बैड टच के बारे में बताकर उन्हें सुरक्षित बनाने की मुहिम चला रहे हैं। जैन और उनका सहयोग कर रहे 600 वॉलिंटियर्स अब तक दो हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों में पांच लाख बच्चों को यह समझा चुके कि वह खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं। वहीं, दूसरे नागौर जिला कलेक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी नंगे पैर स्कूल जाते वंचित परिवारों के बच्चों को जूते मुहैया कराने में जुटे हैं। सोनी अब तक दो लाख से ज्यादा बच्चों को जूते पहना चुके हैं। पहले उन्होंने खुद अपने वेतन से बच्चों को जूते उपलब्ध करवाए थे। अब दानदाताओं के सहयोग से सोनी पांच जिलों में यह मुहिम चला रहे हैं। जिसे उन्होंने चरण पादुका अभियान नाम दिया है।
यह है गुड व बैड टच अभियान
आइएएस अधिकारी नवीन जैन ने करीब छह साल पहले पांच बच्चों के साथ यह अभियान जयपुर के गांधी नगर सरकारी स्कूल से शुरू किया था। अब तक वह खुद राज्य की दो हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों में जाकर गुड टच, बैड टच के बारे में बता चुके हैं। वर्तमान में यह अभियान राज्य के 33 में से 21 जिलों में चलाया जा रहा है। जैन के साथ काम करने वाले 600 वॉलिंटियर्स कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को समझा रहे हैं कि खतरे का अनुभव होते ही वह खुद को कैसे सुरक्षित करें। ग्राफिक्स, एनीमेशन फिल्म और रोचकतापूर्ण बातों के जरिए बच्चों को अच्छे और बुरे के बीच फर्क समझाया जाता है। बच्चों विशेषकर बच्चियों को यह समझाया जाता है कि यदि कोई व्यक्ति उन्हें इस तरह से छूटा है, जिससे वह असहज महसूस होती है तो इसे बैड टच माना जाए और परिजनों या अन्य को शिकायत की जाए।
यह है चरण पादुका अभियान
पढ़ाई के दौरान अपने पिता से मिलने वाले जेब खर्च से नंगे पैर स्कूल जाने वाले बच्चों को जूते पहनाने का डॉ. सोनी का अभियान निरंतर जारी है। सोनी अब तक दो लाख बच्चों को जूते पहना चुके हैं। पहले जेब खर्च, फिर वेतन और अब दानदाताओं के सहयोग से सोनी चरण पादुका अभियान संचालित रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में कई परिवारों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती कि वह अपने बच्चों को जूते पहना सके। कच्चे रास्ते और खेतों में नंगे पैर स्कूल जाने वाले बच्चों को जिस तरह की परेशानी होती है, वह खुद सोनी ने महसूस की है। सोनी जो काम अपने स्तर पर कर रहे हैं। उसके बारे में बाल संरक्षण आयोग भी इस बारे में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर सुझाव दे चुका है। आयोग ने सरकार से कहा है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को गणवेश के साथ जूते भी देने चाहिए।