जयपुर के आमेर महल में 20 हाथियों को अब सवारी योग्य नहीं माना गया

जयपुर के आमेर महल में हाथी सवारी के लिए उपयोग में लाए जाने वाले 20 हाथियों को अब सवारी के लिए उपयोगी नहीं माना गया है। स्वास्थ्य कारणों से अयोग्य 20 हाथियों को आमेर महल की सवारी से हटाने को लेकर महावतों को निर्देश दिए जा चुके हैं।

By PRITI JHAEdited By: Publish:Wed, 10 Feb 2021 01:30 PM (IST) Updated:Wed, 10 Feb 2021 01:57 PM (IST)
जयपुर के आमेर महल में 20 हाथियों को अब सवारी योग्य नहीं माना गया
जयपुर के आमेर महल में सवारी के लिए उपयोग में लाए जाने वाले हाथी

जयपुर, जागरण संवाददाता। जयपुर के आमेर महल में हाथी सवारी के लिए उपयोग में लाए जाने वाले 20 हाथियों को अब सवारी के लिए उपयोगी नहीं माना गया है। जयपुर के उप वन संरक्षक उपकार बोरोना ने आमेर महल के अधीक्षक को हाथियों की सवारी से अलग करने को लेकर पत्र लिखा है। आमेर महल के अधीक्षक पंकज धीरेंद्र ने यह पत्र मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनुपालना में पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय द्वारा गठित वेटनरी टीम द्वारा पिछले साल जुलाई में की गई हाथियों की स्वास्थ्य जांच 20 हाथियोें को सवारी योग्य नहीं माना गया।

स्वास्थ्य कारणों से अयोग्य 20 हाथियों को आमेर महल की सवारी से हटाने को लेकर महावतों को निर्देश दिए जा चुके हैं। इनमें से 3 हाथियों की टीबी रोग है और 11 को एक आंख से दिखाई नहीं देता है। शेष 6 हाथियों के भी कई बीमारी है। इस कारण इन हाथियों को सवारी के लिए अयोग्य माना गया है। उललेखनीय है कि आमेर महल देखने आने वाले पर्यटकों के लिए हाथी की सवारी काफी रोमांचकारी मानी जाती है। बड़ी संख्या में पर्यटक हाथी की सवारी का आनंद लेते हैं।

ख्वाजा साहब का सालाना उर्स 12 फरवरी से शुरू, जायरीन के लिए ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य

अजमेर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का छह दिवसीय सालाना उर्स अजमेर में चाँद दिखने पर 12 फरवरी से शुरू होगा। चूंकि इस बार कोरोना काल में उर्स भर रहा है, इसलिए सरकार और प्रशासन ने गाइड लाइन जारी की है साथ ही प्रशासन सतर्क भी है। उर्स में भीड़ जहां तक कोशिश हो कम आए इसके लिए प्रशासन ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने का एक नियम लागू किया है इसके बाद अनुमति मिलने पर जायरीन दरगाह में जियारत कर सकेगा। ऑनलाइन अनुमति लेने के लिए जायरीन को अपनी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट भी अपलोड करनी होगी। रजिस्ट्रेशन के लिए प्रशासन ने वेबसाइट भी जारी की है। किन्तु इसकी कितनी पालना संभव होगी अथवा प्रशासन की ओर से पालना कराई जा सकेगी इसकी बानगी हाल ही में उर्स का झंडा चढ़ाए जाने की रस्म के दौरान दरगाह में उमड़ी भीड़ को देखकर ही हो गया है।

यहां विचारणीय है कि  8 फरवरी को दरगाह में झंडे की रस्म में उमड़ी भीड़ सभी के लिए चैंकाने वाली थी।  उर्स शुरू होने से पहले दरगाह के बुलंद दरवाज़े पर झंडा फहराने की परंपरा अदायगी के चलते  आसपास के लोग और खादिम समुदाय बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। ख्वाजा साहब की दरगाह खचाखच भरी हुई थी। किसी भी स्तर पर सोशल डिस्टेसिंग के नियमों की पालना संभव नहीं थी। अधिकांश लोगों ने मास्क भी नहीं लगाया हुआ था। झंडे की रस्म में तो स्थानीय लोग ही शामिल हुए थे लेकिन जब उर्स के छह दिनों में देशभर से जायरीन आएंगे तो हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। क्या इतनी भीड़ में ऑनलाइन अनुमति की जांच कैसे संभव होगी।  

उर्स के दौरान बड़ी संख्या में जायरीन ख्वाजा साहब की मजार पर जियारत करने जाते हैं। छह दिवसीय उर्स के दौरान आने वाले शुक्रवार की नमाज में तो लाखों जायरीन अजमेर आते हैं। इसी प्रकार कुल की रस्म में भी जायरीन की संख्या अधिक होती है। हालांकि सुरक्षा इंतज़ामों के लिए अतिरिक्त फोर्स तैनात की गई है, लेकिन प्रशासन उर्स में करोनो गाइड लाइन की पालना कैसे करवाता है यह अजमेरवासियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। लम्बे समय के बाद अजमेर में अभी कोरोना का मरीज नहीं है।

chat bot
आपका साथी