कोरोना में घरों में कैद परेशान बच्चे, मां ने दोस्तों के पास जाने नहीं दिया तो सोलह साल का किशोर घर छोड़ निकला
कोरोना महामारी में घरों में कैद बच्चे इतने परेशान हो चुके हैं कि वह किसी तरह बाहर अपने दोस्तों के साथ समय बिताना चाहते हैं। ऐसी मानसिक स्थिति में बच्चे ऐसे कदम भी उठा लेते हैं जो उनके लिए कष्टदायी साबित हो जाते हैं।
उदयपुर, संवाद सूत्र। कोरोना महामारी में घरों में कैद बच्चे इतने परेशान हो चुके हैं कि वह किसी तरह बाहर अपने दोस्तों के साथ समय बिताना चाहते हैं। ऐसी मानसिक स्थिति में बच्चे ऐसे कदम भी उठा लेते हैं, जो उनके लिए कष्टदायी साबित हो जाते हैं। पिछले दिनों उदयपुर से घर छोड़कर निकला एक किशोर गुजरात के नरोड़ा से बरामद हुआ, वहीं असम से निकला एक किशोर उदयपुर पहुंच गया। इस किशोर को अब उसके घर भेजे जाने की व्यवस्था की जा रही है और तब तक उसे यहां आसरा विकास संस्थान के शेल्टर होम में रखा गया है।
बताया गया कि मध्यरात्रि को एक किशोर फतहपुरा चौराहे पर अकेला बैठा हुआ था। उसी दौरान वहां से निकले एक व्यक्ति की नजर उस पर पड़ी तो उसने इसकी सूचना चाइल्ड लाइन कर दी। चाइल्ड लाइन की टीम वहां पहुंची तो चौंकाने वाली जानकारी मिली। किशोर असम के जलालपुर का रहने वाला है और उसने बताया कि कोरोना के भय ने मां उसे घर से निकलने नहीं दे रही थी, जबकि वह दोस्तों के पास जाना चाहता था। मां के डांटने के बाद वह एक रात घर से निकल गया और हाईवे पर पहुंच गया। जहां एक ढाबे पर रूके ट्रक वाले से काम की मदद मांगी तो वह उसने अपने साथ रख लिया। वह उसे दस दिन तक खलासी की तरह काम लेता रहा। इसके एवज में वह उसे दोनों समय का खाना खिला देता था। सोमवार रात ट्रक उदयपुर पहुंचा तो उसके चालक ने आगे काम पर रखने से इंकार कर दिया और उसे यहां उतारकर वह रवाना हो गया। जहां से इधर-उधर भटकता हुआ वह फतहपुरा चौराहे पर पहुंचा था।
चाइल्ड लाइन की टीम ने बताया कि किशोर ने अपनी पहचान जलालपुर-असम निवासी अजीत दास पुत्र सुधीर दास के रूप में बताई। उसने बताया कि उसके पिता की मौत आठ साल पहले हो गई थी और उसकी मां तीन बेटों का पालन-पोषण मजदूरी करके करती है। कोरोना काल में मां ने तीनों भाइयों के घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी थी। किन्तु वह किसी तरह अपने दोस्तों के पास जाना चाहता था। मां की डांट के बाद वह मध्य रात्रि को घर से निकल गया था।
चाइल्ड लाइन की टीम किशोर को अंबामात थाने ले गई थी। जहां से उसे आसरा विकास संस्थान को सुपुर्द कर दिया। संस्थान के संचालक भोजराज सिंह का कहना है कि उसकी मां को सूचित कर दिया गया है कि किशोर यहां है और उसको घर पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। तब तक वह संस्थान के शेल्टर होम में रहेगा।