Sub Registrars Relieved: ई-ग्रास चालान मामले में तीन सब रजिस्ट्रार कार्यमुक्त
Sub Registrars Relieved राजस्थान में पंजीयन व मुद्रांक विभाग के महानिरीक्षक महावीर प्रसाद ने सोमवार को बताया कि ई-ग्रास चालानों का दुरुपयोग कर बिना शुल्क चुकाए दस्तावेजों का पंजीयन कराने के मामले में यह कार्रवाई की गई है।
अजमेर, संवाद सूत्र। ई-ग्रास चालान का दुरुपयोग कर बिना शुल्क चुकाए दस्तावेजों का पंजीयन कराने के मामले में पंजीयन व मुद्रांक विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। दस्तावेजों के सत्यापन में लापरवाही करने पर तीन सब रजिस्ट्रार को कार्यमुक्त कर राजस्व मंडल भेज दिया गया है। गड़बड़ी करने वाले 19 स्टांप वेडंरों के लाइसेंस निरस्त कर एफआइआर दर्ज कराई जा रही है। लापरवाही करने वाले सात लिपिकों को एपीओ करने के साथ ही 44 कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। पंजीयन व मुद्रांक विभाग के महानिरीक्षक महावीर प्रसाद ने बताया कि ई-ग्रास चालानों का दुरुपयोग कर बिना शुल्क चुकाए दस्तावेजों का पंजीयन कराने के मामले में यह कार्रवाई की गई है।
कमेटी गठित
उन्होंने बताया कि विभाग की जानकारी में आया था कि पहले से ही उपयोग में लिये जा चुके चालान को दस्तावेज के पंजीयन के लिए पुनः उपयोग में लिया गया है। सूचना को गंभीरता से लेकर उसी दिन एनआइसी व ई ग्रास की तकनीकी टीम के साथ बैठक कर उन्हें ई पंजीयन व ई ग्रास में अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करने तथा पुनः उपयोग में लिए गए चालानों की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए। एनआइसी द्वारा 913 ऐसे दस्तावेजों की सूची उपलब्ध करवाई गई, जिनमें पहले से ही उपयोग में लिए गए चालानों के पुनः उपयोग की आशंका थी। विभाग द्वारा इन मामलों में राजस्व अपवंचना का पता लगाने के लिए मुख्यालय स्तर पर एक कमेटी का गठन कर इन मामलों का परीक्षण कराया गया। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार कुल 17 उप पंजीयक कार्यालयों से संबंधित 676 दस्तावेजों में 7.94 करोड़ रुपये की राजस्व अपवंचना लक्षित हुई।
होगी कार्रवाई
उन्होंने बताया कि इन प्रकरणों को संबंधित उप महानिरीक्षकों को भिजवा कर दस्तावेजों की कार्यालय प्रतियों से जांच करने के निर्देश दिए गए तथा राजस्व अपवंचना पाए जाने की स्थिति में वसूली करने, मामले में आपराधिक कृत्य पाए जाने पर प्रकरण दर्ज कराने तथा विभागीय स्तर पर लापरवाही पाये जाने पर संबंधित के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई के प्रस्ताव मुख्यालय को प्रेषित करने के निर्देश दिए गए। उप महानिरीक्षक गण से प्राप्त सूचना के अनुसार, उपरोक्त 676 प्रकरणों में से 11 प्रकरणों में राशि जमा होने का सत्यापन हो गया है। शेष 665 प्रकरणों में से 218 प्रकरणों में पक्षकारों द्वारा रुपए 2.28 करोड़ जमा करवाये जा चुके हैं तथा 447 प्रकरणों में रुपए 5.64 करोड़ वसूली शेष है।
रिपोर्ट से हुआ ये खुलासा
मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग द्वारा मुख्यालय स्तर पर भी एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर उक्त मामलों में राजस्व अपवंचना के कारणों, तकनीकी कमी या प्रणालीगत त्रुटि या मानवीय लापरवाही इत्यादि को चिन्हित करने का निर्देश दिया गया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि कतिपय स्टांप वेंडरों द्वारा कोषालय से स्टांप क्रय करने के लिये उपयोग में लिए गए चालानों को कूटरचित करके दस्तावेजों के पंजीयन के लिए पुनः उपयोग में लिया गया है। वहींं, संबंधित उप पंजीयक, पंजीयन लिपिक एवं अन्य स्टाफ ने राज्य सरकार और विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों की अवहेलना कर चालानों का ई ग्रास साइट से सत्यापन किए बिना ही लापरवाही पूर्वक दस्तावेजों का पंजीयन किया है। यदि चालानों का सत्यापन किया जाता और समय पर अंक मिलान किया जाता तो ऐसे कूटरचित चालानों के पुनः उपयोग को रोका जा सकता था।
कारण बताओ नोटिस
विभाग ने उप पंजीयक कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही पाए जाने और अपवंचना चिन्हित होने के बावजूद भी वसूली के सार्थक प्रयास नहीं करने और चालानों के दुरुपयोग और कूटरचना के लिए दोषियों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई करने में विलंब के कारण उप पंजीयक जयपुर (पंचम) साधना शर्मा, उप पंजीयक जयपुर (दशम) राजीव तथा कार्यवाहक उप पंजीयक जयपुर (द्वितीय) सविता शर्मा को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर दिया है। तत्कालीन पंजीयन लिपिक बाबूलाल मीणा, सुशील कुमार शर्मा, श्बलबीर सिंह धायल, अनुपम सिंह, अशोक कुमार उपे्रती, दीपक हिंगोनिया तथा श्श्यामलाल कुमावत को एपीओ कर मुख्यालय बदला गया है। वहीं, 44 पंजीयकों, पंजीयक लिपिकों व अन्य संबंधित कार्मिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जिस पर बाद जांच नियमानुसार कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
19 स्टांप वेंडरों के लाइसेंस निरस्त
उन्होंने बताया कि उप महानिरीक्षक जयपुर प्रथम, द्वितीय व तृतीय द्वारा ऐसे 19 स्टांप वेंडरों, जिनके उपयोग में लिए गए चालानों का दस्तावेजों के पंजीयन में कूटरचित कर पुनः उपयोग किया गया है, के लाइसेंस निरस्त किए गए हैं। उनके विरुद्ध कूटरचना के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है। अन्य उप महानिरीक्षकों द्वारा भी ऐसे मामलों में लाइसेंस निरस्तीकरण और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाने की कार्रवाई की जा रही है। विभाग ने ऐसे पीड़ित लोगों, जिनके दस्तावेजों में कूटरचित चालानों का उपयोग किया गया है, से अनुरोध किया है कि वे आगे आकर पुलिस को उन व्यक्तियों के नाम और पहचान बताएं, जिनके माध्यम से उन्होंने चालान बनवाए हैं व दस्तावेज पंजीबद्ध करवाए हैं, ताकि अपराधियों के विरुद्ध शीघ्र कार्रवाई हो सके।