उदयपुर का यह स्कूल हाकी खिलाड़ियों की एकेडमी से है बढ़कर, यहां हर साल दर्जनों प्रदेश स्तरीय खिलाड़ी निकलते

उदयपुर का यह स्कूल हॉकी खिलाड़ियों की एकेडमी से है बढ़कर यहां हर साल एक दर्जन से अधिक प्रदेश स्तरीय खिलाड़ी निकलते हैंइस साल 18 छात्र-छात्राओं का प्रदेश स्तर पर हुआ चयन स्कूल की दो छात्राओं का चयन नेशनल स्तर पर हुआ वह आदिवासी खेल एकेडमी में प्रशिक्षण ले रही।

By Priti JhaEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 12:09 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 12:09 PM (IST)
उदयपुर का यह स्कूल हाकी खिलाड़ियों की एकेडमी से है बढ़कर, यहां हर साल दर्जनों प्रदेश स्तरीय खिलाड़ी निकलते
उदयपुर जिले के काया स्थित राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक स्कूल से निकले प्रदेश स्तरीय हॉकी खिलाड़ी। जागरण

उदयपुर, सुभाष शर्मा। जिले का काया स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय आदर्श ही नहीं, बल्कि खेल प्रतिभाओं को तराशने का महत्वपूर्ण विद्यालय है। विशेषकर हॉकी में यह स्कूल हर साल एक दर्जन से अधिक प्रदेश स्तरीय खिलाड़ी देता आया है। इस साल इस स्कूल ने फिर से एक रिकार्ड बनाया है। यहां से 18 छात्र-छात्राओं का चयन प्रदेश स्तर पर हुआ है। खास बात यह है कि सभी बच्चे आदिवासी हैं।

उदयपुर जिला मुख्यालय से अहमदाबाद मार्ग पर लगभग अठारह किलोमीटर दूर स्थित राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय काया से प्रदेश स्तरीय उन्नीस वर्षीय हॉकी टीम में साहिल डामोर, हिना मीणा, रेखा मीणा, अंजली मेघवाल, सेजल मीणा और सुगना मीणा का चयन हुआ है। इसी तरह सत्रह वर्षीय प्रदेश स्तरीय टीम में इसी स्कूल से टेनू मीणा, महेंद्र मीणा, शीतल मीणा, रूता मीणा, रसिला मीणा, काली गमेती और हेमलता मीणा का चयन हुआ है। यही नहीं, चौदह वर्षीय प्रदेश स्तरीय टीम में इसी स्कूल के अनिल मीणा, मनीष मीणा, सोनिया मीणा, पूंजा गाडिया लौहार और किरण मीणा ने नाम दर्ज कराकर अपने स्कूल ही नहीं, शिक्षक और समूचे उदयपुर का नाम रोशन किया है। इस तरह इस स्कूल के कुल अठारह बच्चे प्रदेश स्तरीय टीम में पहुंचने में सफल रहे। इसके लिए सभी बच्चे अपने शिक्षकों, विशेषकर प्राचार्य मोहनलाल मेघवाल और शारीरिक शिक्षक घनश्याम खटीक को श्रेय देते हैं, जिनके हौंसले तथा परिश्रम से खल प्रतिभाएं निखरकर सामने आईं।

खेल मैदान नहीं, सड़क पर खेलकर निकली प्रतिभाएं

काया स्थित सरकारी स्कूल के पास अपना खेल मैदान नहीं है। स्कूल के बाहर बनी सीमेंटेड सड़क ही उनके लिए खेल मैदान का काम करती हैं, जहां शारीरिक शिक्षक घनश्याम खटीक के निर्देशन में वह प्रैक्टिस करते हैं। खटीक बताते हैं कि दस साल पहले उन्होंने आदिवासी बच्चों में खेल के प्रति जुनून देखा तो उन्हें प्रशिक्षण देना शुरू किया। शुरूआत में छह बच्चे राज्य स्तर पर पहुंचे और अब उनकी संख्या अठारह तक पहुंच गई। खेल मैदान के लिए विभाग और खेल मंत्रालय तथ राज्य सरकार को दर्जनों बार चिट्ठियां लिखी लेकिन कोई सुविधा नहीं मिली। इसके बावजूद उनका प्रयास जारी है। उनके स्कूल की दो छात्राओं का चयन नेशनल स्तर पर हुआ है और वह आदिवासी खेल एकेडमी में प्रशिक्षण ले रही हैं। दस साल से छह आज नेशनल भी खेल रहे हैं कोरोना काल ही छोड़ दिया जाए तो दो आदिवासी जनजाति पूरे संभाग से हुई दो बच्चियां वहीं प्रशिक्षण ले रहे हैं सुविधाएं

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