Talking Gloves: मूक और सामान्य लोगों के बीच संवाद की सुविधा प्रदान करेगा टाकिंग ग्लव्स

Talking Gloves आइआइटी और एम्स जोधपुर के नवोन्वेषक ने मूक लोगों के लिए कम लागत वाले टाकिंग ग्लव्स विकसित किए हैं। ये ग्लव्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के सिद्धांतों का उपयोग कर स्वचालित रूप से लेंग्वेज स्पीच उत्पन्न करने का काम करेगा।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 08:23 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 08:23 PM (IST)
Talking Gloves: मूक और सामान्य लोगों के बीच संवाद की सुविधा प्रदान करेगा टाकिंग ग्लव्स
मूक और सामान्य लोगों के बीच संवाद की सुविधा प्रदान करेगा टाकिंग ग्लव्स। फोटो जागरण

संवाद सूत्र, जोधपुर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) जोधपुर और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर के नवोन्वेषक (इनोवेटर्स) ने मूक (स्पीच डिसेबल) लोगों के लिए कम लागत वाले टाकिंग ग्लव्स विकसित किए हैं। ये ग्लव्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और मशीन लर्निंग (एमएल) के सिद्धांतों का उपयोग कर स्वचालित रूप से लेंग्वेज स्पीच उत्पन्न करने का काम करेगा। ये मूक और सामान्य लोगों के बीच संवाद की सुविधा प्रदान करेगा। आइआइटी जोधपुर में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. सुमित कालरा ने बताया कि यह डिवाइस बिना किसी भाषा बाधा के लोगों को मुख्यधारा में वापस लाएगा। डिवाइस के उपयोगकर्ताओं को केवल एक बार इसका संचालन सीखने की जरूरत होगी और फिर वे अपने ज्ञान के साथ किसी भी भाषा में मौखिक रूप से संवाद करने में सक्षम हो सकेंगे।

इतनी है डिवाइस की कीमत

इसके अतिरिक्त, डिवाइस को मरीजों की मूल आवाज के समान आवाज उत्पन्न करने के अनुकूल भी किया जा सकता है, जो डिवाइस का उपयोग करते समय इसे और अधिक प्राकृतिक बनाता है। विकसित डिवाइस की कीमत पांच हजार रुपये से भी कम है। यह व्यक्तियों को हाथ के इशारों को टेक्स्ट या पहले से रिकार्ड की गई आवाज में बदलने में मदद कर सकता है। विभिन्न परिस्थितियों के कारण जिन लोगों को कोई बीमारी या चोट लगने के कारण मौखिक रूप से संवाद करने की प्राकृतिक क्षमता से वंचित होना पड़ा है या जो बोलने में असमर्थ हैं, उनके लिए सांकेतिक भाषा बातचीत का यह एक अनोखा माध्यम होगा। इसके जरिये वे अपनी बात को प्रभावी ढंग से संप्रेषित कर सकते हैं। इसको जल्द ही बाजार में उतारा जाएगा।

इस तरह डिवाइस करता है काम

विकसित उपकरण में विद्युत संकेत सेंसर के पहले सेट द्वारा उत्पन्न होते हैं, जो उपयोगकर्ता के पहले हाथ के अंगूठे, अंगुली या कलाई पर पहनने होते हैं। ये विद्युत संकेत अंगुलियों, अंगूठे, हाथ और कलाई की गति के संयोजन से उत्पन्न होते हैं। इसी तरह, दूसरी ओर सेंसर के दूसरे सेट से भी विद्युत संकेत उत्पन्न होते हैं। ये संकेत संयोजनों को वाक्य और शब्दों के अनुरूप ध्वन्यात्मकता में अनुवादित करता है। संकेतों का निर्माण भाषाई स्पीच के जरिये मूक लोगों को दूसरों के साथ श्रव्य रूप से संवाद करने में सक्षम बनाता है।

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