Rajasthan: पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को दी राहत

Supreme Court. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से संभावना है कि अब राज्य सरकार अपने नोटिफिकेशन एवं पंचायतों के पुनर्गठन के अनुसार 15 अप्रैल से चुनाव करवाएगी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Fri, 24 Jan 2020 07:07 PM (IST) Updated:Fri, 24 Jan 2020 08:28 PM (IST)
Rajasthan: पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को दी राहत
Rajasthan: पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को दी राहत

जयपुर, जागरण संवाददाता। Supreme Court. राजस्थान में पंचायत चुनाव का दूसरा चरण अप्रैल के दूसरे सप्ताह में शुरू होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ग्राम पंचायत व पंचायत समितियों के पुनर्गठन मामले में राजस्थान सरकार को राहत देते हुए प्रदेश की बाकी ग्राम पंचायतों में नोटिफिकेशन के अनुसार अप्रैल की मध्यावधि में चुनाव कराए जाने की छूट दी है। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि उन्हें चुनाव कराए जाने के लिए समय चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को अप्रैल में चुनाव कराए जाने का समय दिया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आई एसए बोबड़े की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश शुक्रवार को राज्य सरकार व अन्य पक्षकारों की एसएलपी पर दिया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से संभावना है कि अब राज्य सरकार अपने नोटिफिकेशन एवं पंचायतों के पुनर्गठन के अनुसार 15 अप्रैल से चुनाव करवाएगी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कराने को लेकर तैयार होने की बात कही है।

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने खुशी जताते हुए कहा कि इससे लोकतंत्र मजबूत होगा। राज्य सरकार समय पर चुनाव कराना चाहती है।

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट ने के आदेश का सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती 

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने एसएलपी में हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने 85 याचिकाओं में फैसला देते हुए ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समितियों के पुनर्गठन के लिए राज्य सरकार की ओर से 15 व 16 नवंबर के बाद जारी सभी नोटिफिकेशन को रद कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गत आठ जनवरी को हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ के 13 दिसंबर, 2019 के आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी थी।

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष सिंघवी और अतिरिक्त महाधिवक्ता आरपी सिंह ने दलील दी थी कि राज्य सरकार को नोटिफिकेशन जारी करने का अधिकार है। ऐसे में राज्य सरकार की ओर से की गई कार्रवाई विधायी थी और हाईकोर्ट को उसमें दखल देने का अधिकार नहीं था। नई गठित की गई पंचायतों एवं पंचायत समितियों से प्रार्थियों के किन्हीं मौलिक व विधिक अधिकारों का हनन नहीं हुआ है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने गत 17 जनवरी को ग्राम पंचायतों व पंचायत समितियों के पुनर्गठन को चुनौती देने के मामले में राज्य की ग्राम पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इनकार किया था। एक निजी पक्षकार नागौर के मकराना निवासी नारायण सिंह ने एसएलपी में कहा था कि राज्य में पंचायतों का पुनर्गठन गलत हुआ है, ऐसे में ग्राम पंचायत व पंचायत समितियों के चुनावों पर रोक लगाई जाए।

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