राजस्थान के रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व के रूप में मंजूरी
रणथंभौर टाइगर रिजर्व और कोटा के मुकुंदरा हिल्स के बीच एक गलियारे की तरह स्थित है। इस कारण यहां बाघों की आवाजाही जारी रहती। बाघों के मूवमेंट और उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों को देखते हुए कई सालों से रामगढ़ विघधारी को टाइगर रिजर्व घोषित करने की मांग की जा रही है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान के बूंदी में रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाए जाने को लेकर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने सहमति दे दी है। सहमति के बाद नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने इस संबंध में राज्य सरकार के वन सचिव को भी पत्र भेजा है। वर्तमान में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में टाइगर टी-91 और टी-62 बाघ हैं। पिछले एक साल से टी-115 का लगातार इस रिजर्व में मूवमेंट बना हुआ है।
रणथंभौर टाइगर रिजर्व और कोटा के मुकुंदरा हिल्स के बीच एक गलियारे की तरह स्थित है। इस कारण यहां बाघों की आवाजाही जारी रहती है। बाघों के मूवमेंट और उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों को देखते हुए कई सालों से रामगढ़ विघधारी को टाइगर रिजर्व घोषित करने की मांग की जा रही है ।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला नए टाइगर रिजर्व बनाए जाने को लेकर प्रयास कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व में इन दिनों बाघों में क्षेत्राधिकार को लेकर संघर्ष हो रहा है। इसका प्रमुख कारण जंगल छोटा पड़ना और बाघों की संख्या ज्यादा होना है। इस वजह से ही सरकार ने यहां से मुकुंदरा और रामगढ़ में बाघों को शिफ्ट करने की योजना बनाई है। वन विभाग के अनुसार रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व का कोर एरिया 39,920.51 हेक्टेयर का होगा, वहीं बफर जोन 74091.93 का होगा ।