Rajya Sabha Election 2020 मध्य प्रदेश की सियासी उठापटक के बीच राजस्‍थान में रोचक बना राज्‍यसभा चुनाव

Rajya Sabha Election 2020 भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया कह रहे हैं कि सारी संभावनाएं जिंदा हैं। हम अपनी तरफ से कोई पहल नहीं करेंगे।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Sat, 14 Mar 2020 06:34 PM (IST) Updated:Sat, 14 Mar 2020 06:34 PM (IST)
Rajya Sabha Election 2020 मध्य प्रदेश की सियासी उठापटक के बीच राजस्‍थान में रोचक बना राज्‍यसभा चुनाव
Rajya Sabha Election 2020 मध्य प्रदेश की सियासी उठापटक के बीच राजस्‍थान में रोचक बना राज्‍यसभा चुनाव

मनीष गोधा, जयपुर। मध्य प्रदेश की सियासी उठापटक के बीच भाजपा ने राजस्थान के सीधे दिख रहे राज्यसभा चुनाव को रोचक बना दिया है। तीन सीटों के इस चुनाव में भाजपा ने अपने दो प्रत्याशी खडे कर दिए है और अब सबकी नजर इस बात पर है कि भाजपा का दूसरा प्रत्याशी नाम वापसी के दिन नाम वापस लेता है या मैदान में डटा रहता है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया कह रहे हैं कि सारी संभावनाएं जिंदा हैं। हम अपनी तरफ से कोई पहल नहीं करेंगे। कोई परिस्थिति बनेगी, उसका आंकलन करके, उसके बाद निर्णय करेंगे। 

राजस्थान में राज्यसभा की तीन सीटों पर 26 मार्च को चुनाव होना है। विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से तीन में से दो सीट कांग्रेस और एक भाजपा को मिलने की स्थिति है। भाजपा ने पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेन्द्र गहलोत को अपना अधिकृत घोषित किया था। उनके नाम के ऐलान दो दिन पहले ही हो गया था। वही कांग्रेस ने नामांकन दाखिल करने के एक दिन पहले पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और राजस्थान में यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष नीरज डांगी को प्रत्याशी बनाया। ऐसे में यह साफ तौर पर लग रहा था कि दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति हो गई है और यहां निर्विरोध चुनाव हो जाएगा। 

लेकिन अंतिम समय पर भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव कर दिया।

पहले भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी राजेन्द्र गहलोत पहुंचे और नामांकन दाखिल किया और बाद में पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता आंेकार सिंह लखावत का नामांकन भी दाखिल करा दिया गया। जब उनका नामांकन दाखिल हुआ तो एकबारगी तो यह लगा कि ऐसा  एहतियात के तौर किया गया है ताकि राजेन्द्र गहलोत के नामांकन की जांच में कोई परेशानी आ जाए तो दूसरा नाम रहे, लेकिन कुछ देर बाद भाजपा नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया कि हमने पूरी तरह सोच समझ कर यह नामांकन भरवाया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि हमारी रणनीति का खुलासा तो नहीं किया जा सकता। सारी संभावनाएं जिंदा हैं। हम अपनी तरफ से कोई पहल नहीं करेंगे। कोई परिस्थिति बनेगी, उसका आंकलन करके, उसके बाद निर्णय करेंगे। 

कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार ने जगाई भाजपा की उम्मीदें

पार्टी सूत्रों का कहना है कि रणनीति में यह बदलाव कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार नीरज डांगी के नाम के ऐलान के बाद हुआ। डांगी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वसनीय है, लेकिन उनके नाम के ऐलान से कांग्रेस में उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट का खेमा काफी निराश है। इस खेमे के अलावा भी कांग्रेस के कई विधायकों को डांगी के नाम पर आश्चर्य हुआ था। यही कारण था कि गुरूवार रात जैसे ही उनके नाम का ऐलान हुआ, कांग्रेस के एक खेमे की नाराजगी की खबरें भाजपा तक पहुंची और इससे भाजपा की उम्मीदें जाग गई। रणनीति में बदलाव किया गया और नामांकन का समय समाप्त होने से पहले लखावत का नामांकन दाखिल करा दिया गया। पूनिया ने कहा कि हमने अपना यह उम्मीदवार इस उम्मीद के साथ उतारा है, कि कांग्रेस के अलावा दूसरे दल भी हैं जो इस सरकार के कामकाज से नाराज हैं। हम अपनी पूरी कोशिश करेंगे और गहलोत सरकार के खिलाफ असंतोष को आधार बनाकर आगे बढ़ेंगे। कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षाओं की रेस जो विधानसभा चुनाव से पहले भी थी और आज भी बरकरार है। इसी के चलते जिस तरीके की फूट सरकार में है, वह सदन में और बाहर दिखाई देती है। सरकार कमजोर है, इसलिए बहुत लंबे समय तक चल नहीं सकती। 

अब नाम वापसी के दिन पर नजर

पार्टी सूत्रों का कहना है कि नाम वापसी 18 मार्च तक होनी है और तब तक पार्टी यह आकलन करेगी कि वह कांग्रेस के वोटों में किस हद तक सेंधमारी कर सकती है, क्योंकि अभी पार्टी के पास खुद के 24 अतिरिक्त वोट है और उसे कुल 51 वोट चाहिए। पार्टी सूत्र मानते हैं कि  हालांकि इतनी बडी सेंधमारी की सम्भावना बहुत कम है, लेकिन लखावत खडे रह जाते हैं तो मतदान की स्थिति बनेगी और उसमें पार्टी कांग्रेस के वोटों में कुछ हद तक भी सेंधमारी कर पाती है तो कांग्रेस की आपसी खींचतान को पार्टी पूरी तरह सामने लाने में सफल हो जाएगी। 

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