Rajasthan: राजसमंद सांसद दीया कुमारी ने लोकसभा में कुंभलगढ़ को बाघ अभयारण्य के रूप में विकसित करने की मांग उठाई
Rajasthan राजसमंद सांसद दीया कुमारी ने संसद में मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को राजस्थान में पांचवें संभावित बाघ अभयारण्य के रूप में कुंभलगढ़ अभयारण्य को विकसित करने की मांग उठाई। सांसद ने कहा कि कुंभलगढ़ अभयारण्य 1280 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
उदयपुर, संवाद सूत्र। राजस्थान में राजसमंद सांसद दीया कुमारी ने संसद में मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को राजस्थान में पांचवें संभावित बाघ अभयारण्य के रूप में कुंभलगढ़ अभयारण्य को विकसित करने की मांग उठाई। सांसद ने कहा कि कुंभलगढ़ अभयारण्य 1280 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जो सरिस्का अभयारण्य से कहीं अधिक बड़ा है। उन्होंने सदन को बताया कि 1970 से पहले इस अभयारण्य में बाघों की उपस्थिति थी और यह अभयारण्य बाघों के मुफीद घर बन सकता है। सांसद दीया ने कहा कि मौजूदा टाइगर रिजर्व को संरक्षित रखने के साथ नए टाइगर रिजर्व भी विकसित किए जाने चाहिए। उन्होंने सदन को बताया कि कुंभलगढ़ अभयारण्य इतना विस्तृत है कि यहां 45 बाघों को रखा जा सकता है। रणथंभौर अभयारण्य में बढ़ते बाघों के कुनबे और वहां बाघों और मानवों के बीच बढ़ते संघर्ष में कुंभलगढ़ ऐसी जगह है, जहां बाघों को रखा जाना ज्यादा आसान है।
टी24 टाइगर को रखने के लिए बनाया गया था एनक्लोजर
कुंभलगढ़ अभयारण्य को बाघों के लिए मुफीद मानते हुए रणथंभौर से उदयपुर के बायोलॉजीकल पार्क में लाए गए टाइगर टी24 को रखने के लिए कुंभलगढ़ अभयारण्य में एनक्लोजर बनाया गया था। हालांकि बाद में वन विभाग की यह योजना अमल में नहीं लाई जा सकी। वन विभाग ने कुंभलगढ़ अभयारण्य का दौरान कर इसे टाइगर रिजर्व बनाए जाने को लेकर सर्वे किया था। जिसकी रिपोर्ट में इस अभयारण्य को टाइगर रिजर्व के लिए उपयुक्त बताया था। इसके बाद वन विभाग ने भी इस अभयारण्य को टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित किए जाने के लिए प्रस्ताव भेजा था। दो साल पहले राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण में शामिल सांसद दीयाकुमारी ने कुंभलगढ़ अभयारण्य को टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित किए जाने के लिए भरपूर पैरवी भी की और अभी तक सक्रिय हैं।
गौरतलब है कि राजस्थान में बाघों की संख्या बढ़ने लगी है। इसी का परिणाम है कि 100 से ज्यादा बाघों वाला यह देश का नौवां राज्य बन गया। राज्य में बाघों की संख्या 103 है। पिछले दिनों रणथंभौर में बाघिन टी-111 द्वारा चार शावकों को जन्म दिया है। चार नए मेहमान आने के बाद वन विभाग ने बाघों की सुरक्षा व संरक्षण को लेकर विशेष कार्य योजना बनाई है। अब जंगल में अतिरिक्त कैमरे लगाने के साथ ही वनकर्मियों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। अधिकारी नियमित रूप से दौरे करेंगे। वन विभाग इस बात से उत्साहित है कि पिछले तीन साल में राज्य में 33 बाघ बढ़े हैं। वर्तमान में सबसे ज्यादा 71 बाघ रणथंभौर में हैं। इनमें 51 बाघ-बाघिन और 18 शावक हैं।