Rajasthan : रानी पद्मनी और महाराणा प्रताप को लेकर पाठ्क्रम में नहीं होगा बदलाव

रानी पद्मनी और महाराणा प्रताप को लेकर पाठ्क्रम में नहीं होगा बदलाव समीक्षा समिति ने सरकार को पेश किया जवाब

By Preeti jhaEdited By: Publish:Tue, 07 Jul 2020 09:32 AM (IST) Updated:Tue, 07 Jul 2020 09:32 AM (IST)
Rajasthan : रानी पद्मनी और महाराणा प्रताप को लेकर पाठ्क्रम में नहीं होगा बदलाव
Rajasthan : रानी पद्मनी और महाराणा प्रताप को लेकर पाठ्क्रम में नहीं होगा बदलाव

जयपुर, जागरण संवाददाता। रानी पद्मनी और महाराणा प्रताप को लेकर राजस्थान में शुरू हुए विवाद के बीच माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की पाठ्क्रम समीक्षा समिति ने बदलाव से इंकार किया है। पाठ्क्रम समीक्षा समिति ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में कहा कि जिन बिंदुओं को लेकर विवाद पैदा किया जा रहा है वे पिछले डेढ़ साल से स्टूडेंट्स को पढ़ाये जा रहे हैं। किसी भी शिक्षाविद्ध ने पुस्तक की विषय वस्तु पर आपत्ति नहीं की है। समिति ने दावा किया कि राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी की मानक पुस्तकों एवं पुरस्कृत लेखकों की पुस्तकों के आधार पर ही पाठ्क्रम में तथ्य शामिल किए गए हैं। 

इन बिंदुओं पर जताई गई आपत्ति

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं कक्षा की पुस्तक "राजस्थान की संस्कृति और इतिहास " के पेज नंबर 9 में रानी पद्मनी के बारे में साहित्यकार मलिक मुहम्मद जायसी का हवाला देते हुए लिखा गया है कि मुगल बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मनी को पाने के लिए चित्तोड़गढ़ पर आक्रमण किया था। 10वीं कक्षा की ही सामाजिक विज्ञान की पुस्तक से महाराणा प्रताप के हल्दीघाटी युद्ध के जीतने के बारे में तथ्यों को हटाने पर भी नाराजगी है। इसमें लिखा गया है कि महाराणा प्रताप हल्दीघाटी में अकबर के खिलाफ लड़े गए युद्ध नहीं जीत पाए थे। साल, 2017 से पहले माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की पुस्तक में पढ़ाया जाता था कि हल्दीघाटी युद्ध अकबर ने जीता था, लेकिन पिछली वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में पाठ्क्रम में बदलाव किया गया और लिखा गया कि महाराणा प्रताप की सेना ने अकबर की सेना पर जीत प्राप्त की थी।

समिति का जवाब

पुस्तक में महाराणा प्रताप की पराजय का कहीं उल्लेख नहीं है। पुस्तक में उनकी सेना के प्रहार से मुगलों के पैर उखड़ने की बात का उल्लेख किया गया है। पुस्तक के पेज नंबर 32 में महाराणा प्रताप का चित्र और 33 में उनकी समाधी का चित्र भी छापा गया है। रानी पद्मनी को लेकर समिति ने जवाब दिया कि पुस्तक में बताया गया है कि रावत रतन सिंह को 1303ई. में अल्लाउद्दीन खिलजी के आक्रमण का सामना करना पड़ा था। इसका कारण खिलजी की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा एवं चित्तोड़गढ़ की सैनिक उपयोगिता थी। समिति ने कहा कि 1540ई. में मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखित पद्ध्मावत पुस्तक में अल्लाद्दीन खिलजी के आक्रमण का कारण रानी पद्मनी को प्राप्त करना बताया गया है। लेखक डॉ.रतन सिंह इस मत को मान्यता प्रदान करते हैं।

राजनेताओं व पूर्व राजपरिवारों ने जताई नाराजगी

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर कहा कि इतिहास से किसी तरह की छेड़छाड़ बर्दास्त करने योग्य नहीं है। उन्होने कहा कि 10वीं कक्षा की इतिहास की पुस्तक के अध्याय दो में महाराणा प्रताप से जुड़ी सामग्री में बदलाव कर अकबर की सेना के असफलता सिद्ध करने वाले तथ्य हटाए गए हैं। हल्दीघाटी युद्ध के कई तथ्य बदले गए हैं। भाजपा सांसद दीयाकुमारी एवं उदयपुर पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि महाराणा प्रताप के जीवन के तथ्यों का गलत उल्लेख करना दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटािरया ने भी महाराणा प्रताप व रानी पद्मनी से जुड़े तथ्यों में कांट-छांट पर नाराजगी जताई है। इन नेताओं की नाराजगी के बाद शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने पाठ्क्रम समीक्षा समित से रिपोर्ट मांगी थी। अब समिति ने रिपोर्ट दे दी है । 

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