29 साल से अभी तक महिला अपराध के मामलों में राजस्थान ‘भंवर’ में, कब थमेंगे अपराध?
राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि प्रदेश के सभी थानों में एफआइआर आवश्यक रूप से दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे मुकदमों की संख्या बढ़ी है। पहले लोगों को थानों से लौटा दिया जाता था। अब सबके मामले दर्ज हो रहे हैं।
नेशनल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान में महिला अपराध कितना विकराल रूप लेता जा रहा है इस पर नजर डालने के लिए तारीखों के ज्यादा पन्ने नहीं पलटने पड़ेंगे। महीनेभर के भीतर ही यहां दुष्कर्म के दो भयावह मामले सामने आए हैं। एक दुष्कर्म थाने में हुआ, जब पीड़िता वहां मदद के लिए पहुंची थी। वहीं, दूसरे मामले में नाबालिग के साथ 20 लोग नौ दिन तक दुष्कर्म करते रहे। दरअसल यह स्थिति सिर्फ आज या अभी की नहीं है बल्कि लंबे अरसे से बनी हुई है। महिला अपराध और दुष्कर्म के मामले में राजस्थान भले ही दूसरे नंबर पर है लेकिन यहां सामूहिक दुष्कर्म का आंकड़ा बेहद ज्यादा है।
राजस्थान में महिला अपराध की बात जब-जब उठेगी, तब-तब 29 साल पहले हुई घटना से ही बात शुरू होगी। तब से लेकर अब तक कुछ भी नहीं बदला। यहां थाने में महिला के साथ दुष्कर्म हो रहा है। महिला अत्याचार रोकने के लिए जिस एसीपी को जिम्मेदारी दी गई, वही दुष्कर्म पीड़िता पर दबाव बनाते हुए थाने में ही उसका शोषण करते रहे। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2019 के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि वर्ष 2018 से 2019 के बीच राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में 49.11 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई। अपराधों के बढ़ते आंकड़ों में वर्ष 2018 से जो सिलसिला शुरू हुआ वह वर्ष 2020 व 2021 में भी जारी रहा। राजस्थान पुलिस द्वारा पेश किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2020 में 32 हजार से ज्यादा महिला अपराध दर्ज किए गए। इसमें 6000 से अधिक मामले एससी-एसटी वर्ग से जुड़े हुए थे।
राजस्थान में नाबालिग सबसे ज्यादा हैं असुरक्षित
उत्तर प्रदेश और राजस्थान ऐसा प्रदेश है जहां पर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामले सबसे ज्यादा दर्ज किए गए हैं। राजस्थान में साल 2019 में 5997 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए है। जिसमें 1313 नाबालिग हैं। वहीं, राजस्थान पुलिस के अनुसार अगस्त 2020 तक ही 3498 मामले दर्ज हो चुके थे।
गहलोत सरकार में बढ़े मामलें
विपक्ष का आरोप है कि वर्ष 2018 में अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल के बाद से ही कानून व्यवस्था लचर हो गई। विपक्ष ने विरोध भी दर्ज करवाया।
रोजाना 16 महिलाएं शिकार
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार देश में रोजाना 88 महिलाओं के साथ अपराध होता है। वहीं राजस्थान का औसत 16 है।
राजस्थान में तब भी हुआ था सामुहिक दुष्कर्म
बाल विवाह रोकने की कोशिश में लगी पिछड़ी जाति की महिला के साथ ऊंची जाति के दबंगों ने दुष्कर्म किया। लंबी सुनवाई के बाद इसी केस के आधार पर विशाखा गाइडलाइन बनाई गई,लेकिन राजस्थान के हालात नहीं सुधरे।
2 मार्च 2021 : दहेज प्रताड़ना से तंग आकर एक महिला थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंची थी। आरोप है कि सब- इंस्पेक्टर भरत सिंह ने तीन दिनों तक पीड़िता के साथ थाने में ही दुष्कर्म किया। महिला द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की गई है।
8 मार्च 2021 : 30 साल की महिला ने किसी युवक के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया था। शिकायत की जांच एसीपी कैलाश बोहरा के पास पहुंची। आरोप लगा कि पहले 50 हजार रुपये की मांग की गई। नहीं देने पर थाने में ही छेड़छाड़ की। बोहरा को निलंबित कर दिया गया।
जयपुर के भाजपा के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने बताया कि राजस्थान, रेपिस्तान बन गया। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार वृद्धि हुई हैं । अपराधों के मामले में राजस्थान देश के अग्रणी राज्यों में आ गया। सीएम अशोक गहलोत से गृह विभाग संभल नहीं पा रहा,उन्हे पद छोड़ देना चाहिए ।
राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि प्रदेश के सभी थानों में एफआइआर आवश्यक रूप से दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे मुकदमों की संख्या बढ़ी है। पहले लोगों को थानों से लौटा दिया जाता था। अब सबके मामले दर्ज हो रहे हैं।