राजस्‍थान लोकसभा चुनाव 2019: क्षेत्रफल के लिहाज से देश की दूसरी सबसे बड़ी सीट पर जज्बातों की जंग

बाड़मेर-जैसलमेर में सियासी पारा प्रचंड गर्मी पर भी भारी पड़ रहा है। क्षेत्रफल के लिहाज से यह देश की दूसरी सबसे बड़ी लोकसभा सीट है जिसमें बाड़मेर और जैसलमेर दो जिले शामिल हैं ।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Sat, 27 Apr 2019 09:58 AM (IST) Updated:Sat, 27 Apr 2019 09:58 AM (IST)
राजस्‍थान लोकसभा चुनाव 2019: क्षेत्रफल के लिहाज से देश की दूसरी सबसे बड़ी सीट पर जज्बातों की जंग
राजस्‍थान लोकसभा चुनाव 2019: क्षेत्रफल के लिहाज से देश की दूसरी सबसे बड़ी सीट पर जज्बातों की जंग

बाड़मेर, संजय मिश्र ।  पाकिस्तान से सटे राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर-जैसलमेर में सियासी पारा प्रचंड गर्मी पर भी भारी पड़ रहा है। भाजपा अपने राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनावी गूंज को इस सरहदी इलाके में मुखर आवाज देकर इसे चुनावी स्ट्राइक में तब्दील करने पर जोर लगा रही है। जबकि कांग्रेस जातीय-सामाजिक समीकरण को साधते हुए अपने चर्चित उम्मीदवार मानवेंद्र सिंह के सहारे इस चुनाव में बाजी पलट देने का हौसला दिखा रही है।

भाजपा को चुनौती देने के इस दांव में कांग्रेस मानवेंद्र के पिता भाजपा के पूर्व दिग्गज जसवंत सिंह के साथ पिछले चुनाव में हुए सुलूक के जख्मों को ताजा करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। शहर-गांव की चुनावी चर्चाओं की आहट से साफ है कि चुनावी करवट की दिशा आखिर में जातीय समीकरण के रुख से ही तय होगी।

बाड़मेर की इंदिरा कॉलोनी में जहां कांग्रेस उम्मीदवार मानवेंद्र सिंह का घर भी है, सुबह साढे़ आठ बजे चाय की चुस्कियों और अखबार के पन्नों के साथ उम्मीदवारों की बढ़त और कमजोरी की चर्चा तेज है...।

अपना व्यवसाय करने वाले गजेंद्र सिंह साफ तौर पर मानवेंद्र के रेस में आगे होने का दावा ठोकते हुए कहते हैं कि उनकी छवि के साथ जसवंत सिंह के स्वाभिमान का भावनात्मक पहलू उनके पक्ष में है और राजपूत समुदाय पूरी तरह उनके साथ है। कई लोगों ने इस बात से सहमति जताई। लेकिन वहीं मौजूद राजपूत समुदाय के सागर राठौड़ ने कहा कि बेशक मानवेंद्र के साथ उनका समुदाय है पर कांग्रेस की जीत पक्की तभी होगी जब जाट वोटों का बंटवारा होगा।

क्षेत्रफल के लिहाज से यह देश की दूसरी सबसे बड़ी लोकसभा सीट है जिसमें बाड़मेर और जैसलमेर दो जिले शामिल हैं और विधानसभा की आठ सीटे हैं। बता दें कि क्षेत्रफल के मामले में लद्दाख (1.74 लाख वर्ग किमी) देश का सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र है।

भाजपा उम्मीदवार कैलाश चौधरी जाट समुदाय से हैं और इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा वोटर इसी वर्ग से हैं। जबकि राजपूत वोटरों की संख्या दूसरे नंबर पर है और तीसरे पर मुस्लिम मतदाता। पिछड़े और दलित वर्ग के वोटरों की संख्या भी काफी है। कैलाश चौधरी की चुनौती यह भी है कि टिकट काटे जाने से नाराज मजबूत जाट नेता मौजूदा

सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी ने भाजपा छोड़ चुनाव से पांच दिन पहले दोबारा कांग्रेस का दामन थाम लिया है। बाडमेर के कुछ स्थानीय कांग्रेसी नेता सोनाराम की वापसी से खुश नहीं हैं। मगर चुनाव में जाट वोटों को साधने के लिए सूबे का कांग्रेस नेतृत्व इसे कामयाबी मान रहा है।

दिलचस्प यह है कि कर्नल सोनाराम ने ही 2014 में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय लडे़ जसवंत सिंह

को हराया था और अब वही उनके बेटे को जिताने के लिए भाजपा के खिलाफ मैदान में उतर गए हैं।

दैनिक जागरण से चर्चा में मानवेंद्र ने कहा कि राष्ट्रवाद की हुंकार चाहे जितनी भरी जाए, वोटर रोटी और पानी के सवाल पर ही अपना फैसला देगा। कांग्रेस के लिए यह मुद्दा ही सबसे ऊपर है। बसपा के टिकट पर सूबे के चर्चित बर्खास्त आइपीएस अधिकारी पंकज चौधरी भी चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने से वे

कोसों दूर हैं।  

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