इस बार लौटेगी पुष्कर मेले की रौनक, घोड़ों के आने पर लगी रोक भी हटी

राजस्थान के पुष्कर क्षेत्र में दिवाली के तुंरत बाद विश्वप्रसिद्ध धार्मिक और पशु मेला आयोजित होता है, जो कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Fri, 21 Sep 2018 04:31 PM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 06:40 PM (IST)
इस बार लौटेगी पुष्कर मेले की रौनक, घोड़ों के आने पर लगी रोक भी हटी
इस बार लौटेगी पुष्कर मेले की रौनक, घोड़ों के आने पर लगी रोक भी हटी

जयपुर, मनीष गोधा। पहले नोटबंदी और फिर पिछले वर्ष घोड़ों के प्रवेश पर लगी रोक के कारण पुष्कर के प्रसिद्ध पशु मेले में फीकी हुई रौनक इस बार लौटने के आसार हैं। नोटबंदी का असर तो खत्म हो ही गया है। साथ ही, सरकार ने घोड़ों के पुष्कर मेले में आने पर लगी रोक भी हटा दी है। इसके चलते मेले में इस बार पशुपालकों द्वारा खरीद-बिक्री के लिए अधिक तादाद में पशुओं को लाने की उम्मीद है, जिससे मेला गुलजार होगा।

पिछले दो वर्ष से इस मेले में मंदी छाई हुई थी। वर्ष 2016 में मेले के आयोजन के दौरान ही देश में नोटबंदी हुई और मेले में आए लोग नकदी के लिए परेशान हो गए थे। इसके चलते पशु कारोबार भी काफी प्रभावित हुआ और मेले के बीच में ही इसकी रंगत गायब हो गई थी। इसके बाद 2017 में सरकार ने इस मेले में घोड़ों और घोड़े की नस्ल के अन्य पशुओं के आने पर रोक लगा दी। दरअसल, उस दौरान राजस्थान के घोड़ों में खतरनाक ग्लेंडर्स रोग फैला हुआ था। यह संक्रामक रोग है और इससे घोड़ों की मौत हो जाती है। अजमेर में घोड़ों के आने पर प्रतिबंध था और यहां स्थित पुष्कर क्षेत्र में सबसे ज्यादा कारोबार घोडों का ही होता है, इसलिए इसका बहुत गहरा असर पुष्कर मेले पर पड़ा। वर्ष 2017 में यहां अब तक का सबसे कम पशु कारोबार हुआ था।

दुनिया भर से यहां पहुंचते हैं पर्यटक

राजस्थान के पुष्कर क्षेत्र में दिवाली के तुंरत बाद विश्वप्रसिद्ध धार्मिक और पशु मेला आयोजित होता है, जो कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। लगभग 15 दिन तक चलने वाले इस मेले में शुरुआती दस दिनों में पशुओं की खरीद-फरोख्त होती है और बाद के पांच दिनों में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस मेले में दुनिया भर से पर्यटक पहुंचते हैं। यह मेला एक तरह से राजस्थान में पर्यटन सीजन की शुरुआत करता है। यहां घोड़े, गाय, भैंस, ऊंट, बैल आदि पशुधन का अच्छा व्यापार होता है।

ग्लेंडर्स का खतरा नहीं, इसलिए रोक हटाई

अब सरकार ने हाल में एक आदेश जारी कर धौलपुर, राजसमंद और अजमेर में घोड़ों को लाने ले जाने पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है। आदेश में कहा गया है कि इन जिलों में ग्लेंडर्स का कोई नया केस सामने नहीं आया है और जो सेंपल लिए गए थे, वे भी नेगेटिव आए हैं, इसलिए यह रोक हटाई जाती है। ऐसे में इस बार होने वाले पुष्कर पशु मेले में घोड़ों और इसकी नस्ल के जानवरों के आने का रास्ता खुल गया है।

एक चौथाई कारोबार भी नहीं हुआ था पिछले साल

पुष्कर मेले में वर्ष 2017 में सिर्फ 4200 पशु ही आए और पशुपालकों के बीच 841 पशुओं की खरीद-फरोख्त से एक करोड़ 35 लाख रुपये का कारोबार हुआ। यह कारोबार 2016 के मुकाबले एक चौथाई भी नहीं था। वर्ष 2016 में पशु मेले में 8088 पशु आए थे और इनमें से 2246 पशुओं की खरीद फरोख्त हुई थी तथा कुल 6.26 करोड रुपये का कारोबार हुआ था। हालांकि, यह आंकड़ा भी उस वर्ष हुई नोटबंदी के कारण बहुत अच्छा नहीं माना जा रहा था।

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