Coronavirus: कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को एक लाख रुपये देगी राजस्थान सरकार

Coronavirus मुख्यमंत्री कोरोना बाल कल्याण योजना के तहत राजस्थान सरकार ने उन बच्चों को एक लाख रुपये और 2500 रुपये प्रति माह का भुगतान करने की घोषणा की जिन्होंने कोविड19 के कारण अपने माता-पिता को 18 साल की उम्र तक खो दिया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 04:40 PM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 08:33 PM (IST)
Coronavirus: कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को एक लाख रुपये देगी राजस्थान सरकार
कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को एक लाख रुपये देगी राजस्थान सरकार। फाइल फोटो

जयपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी के दौरान बेसहारा हुए बच्चों व विधवा महिलाओं के लिए राजस्थान सरकार ने सहायता पैकेज की घोषणा की है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना बाल कल्याण योजना की घोषणा की है। इसके तहत जिन बच्चों के माता-पिता का निधन कोरोना बीमारी से हुआ है, उन्हें पहली बार में एक लाख की आर्थिक सहायता और फिर प्रतिमाह 2500 रुपये की मदद दी जाएगी। इन बच्चों की 18 साल की उम्र पूरी होने पर एकमुश्त पांच लाख की मदद भी दी जाएगी। इन बच्चों की 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई आवासीय स्कूल में निशुल्क करवाई जाएगी। बेरोजगार युवाओं को भत्ता भी दिया जाएगा। कोरोना से जिन महिलाओं के पति की मौत हुई है, उन्हें एकमुश्त एक लाख की आर्थिक सहायता देने के साथ ही प्रतिमाह 1500 की पेंशन दी जाएगी। ये पेंशन सभी उम्र की विधवा महिलाओं को मिल सकेगी। इन विधवा महिलाओं के यदि बच्चे हैं तो उनके लिए अलग से 1000 की सहायता हर महीने दी जाएगी। इन बच्चों को ड्रेस खरीदने के लिए सालाना 2000 रुपये की मदद की जाएगी।

बाल श्रम रोकथाम में लिए बनेगी हाई पॉवर कमेटी

सीएम गहलोत ने कहा कि बाल श्रम की रोकथाम के लिए एक राज्य स्तरीय हाई पॉवर कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। बाल श्रम निषेध दिवस पर शनिवार को वेबीनार को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि बाल श्रम रोकने व उनके पुनर्वास के लिए राज्य को मॉडल स्टेट बनाने के लिए काम हो रहा है। सरकार ने हर बच्चे को बेहतर शिक्षा व स्वास्थ्य उपलब्ध करवाने के लिए 100 करोड़ का नेहरू बाल संरक्षण कोष बनाया है। मजदूरी करने वालों को छुड़ाने के बाद पुनर्वास के लिए योजना बनाई गई है। इसके लिए कानून का भी कठोरता से पालन करवाया जाएगा।

राजस्थान सरकार ने 'मुख्यमंत्री कोरोना बाल कल्याण योजना' के तहत उन बच्चों को एक लाख रुपये और 2500 रुपये प्रति माह का भुगतान करने की घोषणा की, जिन्होंने कोविड19 के कारण अपने माता-पिता को 18 साल की उम्र तक खो दिया है। 18 साल के होने पर पांच लाख रुपये दिए जाएंगे। शनिवार को यह जानकारी राज्य सरकार ने दी। सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट में लिखा कि कोविड-19 से अपने माता-पिता को खो चुके अनाथ बच्चों का सहारा राज्य सरकार बनेगी। कोविड-19 महामारी के कारण अपने पति को खो चुकी विधवा महिलाओं को भी राज्य सरकार द्वारा एकमुश्त एक लाख रुपये की सहायता अनुदान के रूप में दी जाएगी। साथ ही, ऐसी विधवाओं को प्रतिमाह डेढ़ हजार रुपये विधवा पेंशन दी जाएगी। इसके लिए आयु वर्ग व आय की कोई भी सीमा नहीं होगी। इन महिलाओं के बच्चों को निर्वाह के लिए एक हजार रुपये प्रतिमाह तथा स्कूल ड्रेस व किताबों के लिए दो हजार रुपये सालाना प्रति बच्चा दिया जाएगा।

कोविड-19 महामारी के कारण बेसहारा हुई कॉलेज में अध्ययनरत छात्राओं को सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित छात्रावासों में प्राथमिकता के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा। कॉलेज में पढ़ने वाले बेसहारा छात्रों को ‘अंबेडकर डीबीटी वाउचर योजना‘ का लाभ मिलेगा। कोविड महामारी से प्रभावित निराश्रित युवाओं को ‘मुख्यमंत्री युवा संबल योजना‘ के तहत बेरोजगारी भत्ता दिए जाने में प्राथमिकता दी जाएगी। कोरोना के कारण माता-पिता दोनों को या एकल जीवित माता या पिता को खोने वाले बेसहारा बच्चों को ‘मुख्यमंत्री कोरोना बाल कल्याण योजना‘ के तहत तत्काल सहायता के रूप में एक लाख रुपये का एकमुश्त अनुदान तथा 18 वर्ष पूरे होने तक ढ़ाई हजार रुपये की राशि प्रतिमाह दी जाएगी। अनाथ बालक-बालिका के 18 वर्ष की उम्र होने पर उसे पांच लाख रुपये एकमुश्त सहायता दी जाएगी। ऐसे बच्चों को 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की सुविधा आवासीय विद्यालय अथवा छात्रावास के माध्यम से निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। 

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