Rajasthan: केंद्र सरकार के विभागों के लिए राजस्थान सरकार ने महंगी की जमीन

Rajasthan राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियों और सार्वजनिक उपक्रमों के लिए जमीन महंगी कर दी है। केंद्रीय एजेंसियों को राजस्थान में अब राज्य सरकार के विभागों की तरफ सस्ती दर पर जमीन नहीं मिल सकेगी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 04:58 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 05:06 PM (IST)
Rajasthan: केंद्र सरकार के विभागों के लिए राजस्थान सरकार ने महंगी की जमीन
केंद्र सरकार के विभागों लिए राजस्थान सरकार ने महंगी की जमीन। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार के बीच कई मुद्दों पर चल रहे टकराव का असर अब सरकारी फैसलों पर होता नजर आ रहा है। राज्य सरकार ने कुछ समय पहले केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियों और सार्वजनिक उपक्रमों के लिए जमीन महंगी कर दी है। केंद्रीय एजेंसियों को अब राज्य सरकार के विभागों की तरफ सस्ती दर पर जमीन नहीं मिलेगी। शहरी क्षेत्रों में जमीन आवंटन नीति में बदलाव करते हुए नगरीय विकास और आवासन विभाग ने नए नियम लागू किए हैं। नई नीति के अनुसार केंद्र सरकार के लिए जमीन महंगी होगी। केंद्र सरकार के विभागों को रिजर्व प्राइस के साथ 20 प्रतिशत अतिरिक्त देना होगा। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के विभिन्न विभाग यहां अलग-अलग तरह प्रोजेक्ट्स के लिए राज्य सरकार से जमीन लेते रहते हैं। उधर, केंद्र सरकार द्वारा राजस्थान के लिए मंजूर बड़े प्राजेक्ट रद होने से टकराव बढ़ा है। राज्य के भीलवाड़ा जिले में मेमू कोच फैक्ट्री का शिलान्यास कई साल पहले हुआ, लेकिन केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट को रद कर दिया। इसी तरह डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल प्रोजेक्ट का काम भी रुका हुआ है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार ईस्टर्न राजस्थान कैनाल को राष्ट्रीय परियोजना घोषत करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने इस बारे में अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है।

गौरतलब है कि राजस्थान में कांग्रेस का सियासी संग्राम पहले की अपेक्षा शांत तो होने लगा है, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार का काम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की जिद के कारण अटका हुआ है। पायलट ने अपने खेमे के नाम सीएम को न देकर सीधे राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन को सौंपे हैं। गहलोत पायलट खेमे के आधा दर्जन नेताओं को विभिन्न बोर्ड एवं निगमों में चेयरमैन बनाने पर सहमत हैं। कुछ नेताओं को सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाएगा। लेकिन सबसे महत्वूपर्ण मंत्रिमंडल विस्तार पर दोनों के बीच सहमति नहीं हो पा रही है। पायलट अपने चार से छह समर्थकों को मंत्री बनवाना चाहते हैं। वहीं, गहलोत दो से तीन लोगों को ही मंत्री बनाने के पक्ष में हैं। वह पायलट खेमे के मंत्रियों को विभाग भी अपनी मर्जी से ही देने के पक्ष में है, लेकिन पायलट परिवहन, सार्वजनिक निर्माण और पंचायती राज व ग्रामीण विकास जैसे बड़े महकमें अपने समर्थकोें को दिलवाना चाहते हैं।

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