उदयपुर के डंपिंग यार्ड में पहुंच रहे इस्तेमाल किए गए पीपीई किट, जनता के लिए बन सकते खतरा
बस्ती में रहने वाले लोगों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के बीच डंपिंग यार्ड से उड़कर आ रहे इस्तेमाल किए गए पीपीई किट जनता के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। रोजाना नगर निगम के वाहनों के जरिए कचरा डंपिंग यार्ड में डाला जाता है।
उदयपुर, संवाद सूत्र। कोरोना महामारी के बीच एक बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। उदयपुर शहर में आबादी के समीप बने डंपिंग यार्ड में इस्तेमाल किए गए पीपीई किट पहुंच रहे हैं। यह किट नगर निगम के कचरा संग्रहण वाहनों के जरिए वहां डाले जा रहे हैं। गर्मी में चल रही तेज हवा के साथ यह उड़कर अब आबादी के समीप पहुंचने लगे हैं, जो जनता के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। डंपिंग यार्ड में बिखरे पीपीई किट का वीडियो भी वायरल हो रहा है।
डंपिंग यार्ड के समीप की बलीचा बस्ती में रहने वाले लोगों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के बीच डंपिंग यार्ड से उड़कर आ रहे इस्तेमाल किए गए पीपीई किट जनता के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। रोजाना नगर निगम के वाहनों के जरिए कचरा डंपिंग यार्ड में डाला जाता है और इन्हीं वाहनों के जरिए इस्तेमाल किए गए पीपीई किट वहां डाले जा रहे हैं। क्षेत्र के नरेंद्र खराड़ी का कहना है कि डंपिंग यार्ड में बड़ी संख्या में आवारा मवेशी घूमते हैं, जिनमें गाय और बैल भी शामिल हैं। जो बस्ती में घूमते रहते हैं। संक्रमित रोगियों के उपचार के दौरान इस्तेमाल किए गए पीपीई किट से जानवर भी संक्रमित हो सकते हैं और उनके जरिए बस्ती के लोगों तक संक्रमण पहुंच सकता है।
उचित निस्तारण की जरूरत
बलीचावासियों का कहना है कि खुले में इस्तेमाल किए गए पीपीई किट नहीं फैंके जाने चाहिए। इनके उचित निस्तारण की जरूरत है। अस्पतालों में उपयोग के बाद वहीं इनको संक्रमित से मुक्त करना चाहिए। जबकि ऐसा नहीं हो रहा है। नगर निगम के उप महापौर पारस सिंघवी ने इसको लेकर चिंता जताई है और कहा कि यह लापरवाही की हद है। भविष्य में इस तरह की गलती नहीं हो, ऐसी व्यवस्था की जा रही है। इधर, वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. जेके छापरवाल का कहना है कि पीपीई किट के खुले में फेंकने से संक्रमण का सबसे अधिक खतरा रहता है। क्योंकि डॉक्टर, नर्सिंगकर्मी और मरीजों के परिजन अत्यधिक खतरे से बचने के लिए पीपीई किट पहनते हैं। संक्रमित पीपीई किट के खुले में फैंके जाने से संक्रमण आम जनता में फैलने की आशंका बनी रहती है। इसे रोकने तथा उचित निस्तारण की बेहद जरूरत है।