बिना पदाधिकारियों के ही चल रही है राजस्थान कांग्रेस, प्रदेश अध्यक्ष छोड़ेंगे मंत्री पद

सचिन पायलट की बगावत के बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाते समय गोविंद सिंह डोटासरा को यह कुर्सी सौंपी गई थी। पायलट को हटाते समय प्रदेश जिला और ब्लॉक की सभी कार्यकारिणी भंग कर दी गई थी।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 12:37 PM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 12:37 PM (IST)
बिना पदाधिकारियों के ही चल रही है राजस्थान कांग्रेस, प्रदेश अध्यक्ष छोड़ेंगे मंत्री पद
राजस्थान कांग्रेस पदाधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान कांग्रेस में पिछले ढ़ाई माह से केवल प्रदेश अध्यक्ष ही एकमात्र पदाधिकारी हैं। प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को छोड़ राजस्थान कांग्रेस में एक भी पदाधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई है। अकेले प्रदेश अध्यक्ष के भरोसे पार्टी संगठन चल रहा है। फिलहाल संगठनात्मक नियुक्तियों में और समय लगना तय माना जा रहा है। इसके पीछे कई कारण गिनाये जा रहे हैं।

सचिन पायलट की बगावत के बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाते समय गोविंद सिंह डोटासरा को यह कुर्सी सौंपी गई थी। पायलट को हटाते समय प्रदेश, जिला और ब्लॉक की सभी कार्यकारिणी भंग कर दी गई थी। 15 जुलाई को ये सब फैसले हुए थे, तब से लेकर अब तक संगठन में एक भी नियुक्ति नहीं की गई है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक ब्लॉक से लेकर प्रदेश तक करीब 15000 से ज्यादा नेता और कार्यकर्ता संगठन में नियुक्ति के इंतजार में हैं। 400 ब्लॉक, 39 जिला कार्यकारिणी और प्रदेश कार्यकारिणी का गठन होना बाकी है। प्रत्येक ब्लॉक कार्यकारिणी में 31 से लेकर 50 नेताओं को और जिला कार्यकारिणी में भी 31 से लेकर 100 नेताओं तक को जगह दी जानी है। बिना पदाधिकारियों के ही पार्टी ने कृषि विधेयकों के खिलाफ आंदोलन किया और अब पंचायत चुनाव भी लड़ रही है।

पार्टी नेताओं का कहना है कि इससे पहले जब भी नये प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति हुई है तो कार्यकारिणी को कभी भंग नहीं किया गया। प्रदेश अध्यक्ष कामकाज संभालने के बाद पुरानी कार्यकारिणी से एक बार तो पार्टी गतिविधियां चलाते हैं और फिर जरूरत के अनुसार पुनर्गठन कर लेते हैं। लेकिन इस बार कांग्रेस के राजनीतिक हालात कुछ अलग थे। प्रदेश से लेकर जिला कार्यकारिणी तक में पायलट समर्थकों की भरमार थी और उन्होंने गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी। ऐसे में पार्टी आलाकमान ने पार्टी की सभी इकाईयों को भंग कर दिया।

डोटासरा के पास भी प्रदेश अध्यक्ष पद के अलावा गहलोत सरकार में मंत्री भी है। ऐसे में आगामी कुछ दिनों में उन्हें भी मंत्री पद छोड़ना होगा। 

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