Rajasthan: अशोक गहलोत ने खुद भीड़ में दिया भाषण, अब चुनाव आयोग व न्यायपालिका को जिम्मेदार ठहराया
Rajasthan सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि एक तरफ तो हम पब्लिक को कोविड प्रोटोकॉल फॉलो करने के लिए कहते हैं दूसरी तरफ चुनाव में लाखों लोगों की रैलियां और रोड शो करते रहे। ऐसा सब बिहार चुनाव से ही हो रहा है।
जयपुर, जाागरण संवाददाता। Rajasthan: राजस्थान की तीन विधानसभा सीटों पर शनिवार को होने वाले उपचुनाव में कोरोना गाइडलाइन की जमकर अनदेखी हुई। सरकार के मंत्रियों सहित सभी पार्टियों के नेता भीड़ के बीच घूमे। अब मतदान से एक दिन पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी भीड़ को लेकर चुनाव आयोग और न्यायपालिका पर सवाल उठाए हैं। गहलोत ने सोशल मीडिया पर लिखा कि एक तरफ तो हम पब्लिक को कोविड प्रोटोकॉल फॉलो करने के लिए कहते हैं, दूसरी तरफ चुनाव में लाखों लोगों की रैलियां और रोड शो करते रहे। ऐसा सब बिहार चुनाव से ही हो रहा है। राजनेता चाहते तो वर्चअुल रैली जैसे विकल्पों का इस्तेमाल कर भीड़ एकत्रित होने से रोक सकते थे।
उन्होंने लिखा कि ज्यूडिशियरी और चुनाव आयोग भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने राज्यों के विरोध के बावजूद पंचायत व स्थानीय निकाय चुनाव कराने के निर्देश दिए। चुनाव आयोग अपने कर्तव्यों की पूर्ति मानते हुए चुनावों की घोषणा करता रहा। नेताओं ने जमकर प्रचार किया और भीड़ आती रही। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ठीक कहा कि कोरोना संक्रमण फैलने के लिए हम राजनेता भी कुछ हद तक दोषी हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले की तरफ फिर राज्यों के साथ कोरोना पर चर्चा करें। कोरोना का नया रूप प्रकट हुआ है, देश में भयावह स्थिति बनती जा रही है। प्रदेश की तीन सीटों सहाड़ा, सुजानगढ़ व राजसमंद में चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद वर्चुअल सभाओं का सुझाव दिया है। जबकि तीनों क्षेत्रों में खुद सचिन पायलट, राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन व प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ सभाओं को संबोधित कर के आए हैं।
कहा, राजस्थान में अन्य राज्यों से हालात ठीक
सीएम गहलोत ने शुक्रवार रात सोशल मीडिया के माध्यम से जनता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि राजस्थान में अन्य राज्यों से हालात ठीक हैं। पड़ोसी राज्यों में हालात काबू से बाहर होते जा रहे हैं। सरकार नहीं चाहती थी कि लॉकडाउन या कर्फ्यू लगाया जाए, लेकिन लोग मान नहीं रहे थे। ना तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा था और ना ही मास्क लगाया जा रहा था, लेकिन आम जनता की जान की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, इसलिए यह फैसला करना पड़ा। अस्पतालों मे मरीजों की देखभाल के लिए हर तरह का प्रबंध किया गया है।