Rajasthan: फिल्म 'पानीपत' पर बढ़ी जंग, गहलोत बोले सेंसर बोर्ड हस्तक्षेप करे

Rajasthan CM Ashok Gehlot. राजस्थान में शुक्रवार को फिल्म पानीपत की रिलीज के बाद से इस विवाद की शुरुआत हुई है और तब से राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Mon, 09 Dec 2019 02:42 PM (IST) Updated:Tue, 10 Dec 2019 01:11 PM (IST)
Rajasthan: फिल्म 'पानीपत' पर बढ़ी जंग, गहलोत बोले सेंसर बोर्ड हस्तक्षेप करे
Rajasthan: फिल्म 'पानीपत' पर बढ़ी जंग, गहलोत बोले सेंसर बोर्ड हस्तक्षेप करे

जयपुर, जेएनएन। Rajasthan CM Ashok Gehlot. राजस्थान में फिल्म पानीपत का विरोध लगातार जारी है। इसके विरोध में महाराजा सूरजमल की रियासत रही भरतपुर शहर में मंगलवार को व्यापारियों ने बाजार बंद रखे। वहीं, जयपुर में एक सिनेमाहाल में तोड़फोड़ की गई। इस बीच, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस मामले में ट्वीट कर कहा है कि सेंसर बोर्ड इस विवाद का संज्ञान ले और हस्तक्षेप करे।

राजस्थान में शुक्रवार को फिल्म पानीपत की रिलीज के बाद से इस विवाद की शुरुआत हुई है और तब से राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। भरतपुर में सोमवार को व्यापारियों ने बाजार बंद रखे और फिल्म का पुतला जलाया गया। वहीं, जयपुर के एक सिनेमाहाॅल में इस फिल्म के विरोध में तोड़फोड़ की गई। पुलिस ने पांच लोगों को हिरासत में लिया, वहीं बीकानेर में भी विरोध प्रदर्शन हुआ। इसी तरह राजस्थान के अन्य हिस्सो में भी विरोध सामने आया।

संयोग यह है कि राजस्थान के पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह खुद महाराजा सूरजमल के परिवार से ही हैं, वह उनकी 14वीं पीढ़ी हैं। फिल्म को यहां बैन किए जाने की मांग की जा रही है और खुद विश्वेन्द्र सिंह इस मांग को उठा रहे हैं। इस बारे में उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र भी लिखा है।

उधर, पानीपत विवाद को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ट्वीट भी आया है। उन्होंने लिखा है कि फिल्म में महाराजा सूरजमल के चित्रण को लेकर जो प्रतिक्रियाएं आ रही है, ऐसी स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए थी। सेंसर बोर्ड इसमें हस्तक्षेप करे और संज्ञान ले। वहीं, वितरकों को भी जाट समाज के लोगों से तुरंत बात करनी चाहिए।

गहलोत ने लिखा है कि फिल्म बनाने से पहले किसी के व्यक्तित्व को सही परिप्रेक्ष्य मेूं दिखाना सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि विवाद की नौबत न आए। कला और कलाकार का सम्मान हो, लेकिन उनको भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी जाति, धर्म या वर्ग के महापुरुषों और देवताओ का अपमान नहीं होना चाहिए।

राजपूत समामज भी आया समर्थन में

इस फिल्म के विरोध लेकर जहां जाट समुदाय में आक्रोश है, वही राजपूत समुदाय भी उनके समर्थन में है। राजपूत सभा के अध्यक्ष गिर्राज सिंह लोटवाडा का कहना है कि फिल्म में महाराजा सूरजमल का गलत ढंग से चित्रण किया गया है और इस मामले में हम पूरी तरह जाट समाज के साथ है। महाराजा सूरजमल अपनी बात के धनी थे और आमेर रियासत के साथ उनके बहुत गहरे संबंध थे। इन रियासतों ने हमेशा राजस्थान में आने वाले आक्रांताओ का विरोध किया है। उन्होंने भी राजस्थान में फिल्म पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की।

इस दृश्य को लेकर पैदा हुआ विवाद

फिल्म में महाराजा सूरजमल को मराठा पेशवा सदाशिव राव से संवाद के दौरान इमाद को दिल्ली का वजीर बनाने और आगरा का किला उन्हें सौंपे जाने की मांग करते दिखाया गया है। इस पर पेशवा सदाशिव आपत्ति जताते हैं। सूरजमल भी अहमदशाह अब्दाली के खिलाफ युद्ध में साथ देने से इन्कार कर देते हैं। सूरजमल को हरियाणवी और राजस्थानी भाषा में बोलते दिखाया गया है, जबकि वे ब्रज भाषा में बोलते थे। 

यह कहते हैं इतिहासकार

भरतपुर का इतिहास सहित 13 पुस्तकें लिख चुके इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा का कहना है कि फिल्म में महाराजा सूरजमल का चरित्र तथ्यों से परे फिल्माया है। फिल्म में बताया गया है कि उन्होंने आगरा के किले की मांग की, जबकि सत्य तो यह है कि आगरा का किला तो पहले ही जाट रियासत के अधीन था और भरतपुर रियासत का शासन तो अलीगढ़ तक था। वर्मा बताते हैं कि पहले अब्दाली ने महाराजा सूरजमल से सहायता मांगी थी और फिर मराठों ने, लेकिन महाराजा सूरजमल ने विदेशी आक्रांता का साथ नहीं दिया और मराठों का साथ देने का निर्णय किया।

उन्होंने मराठों को यह सलाह जरूर दी थी कि मराठा सेना के साथ आई महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित स्थान ग्वालियर या डीग और कुम्हेर के किले में रखा जाए और सीधे युद्ध के बजाए छापामार युद्ध किया जाए। लेकिन, उनके परामर्श को नहीं माना गया और उपेक्षा की गई। इस पर वे अभियान से अलग हो गए। वर्मा कहते हैं कि फिल्म कहीं न कहीं पानीपत की हार के लिए सूरजमल के असहयोग की बात कह रही है, जो कि पूरी तरह गलत है। इसके अलावा वे हरियाणी बोलते हुए दिखाए गए है, जबकि सूरजमल सिर्फ ब्रज भाषा बोलते थे। फिल्म में महाराजा सूरजमल का चरित्र ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत है।

यह भी पढ़ेंः जानें, फिल्म पानीपत का राजस्थान में क्यों हो रहा है विरोध

chat bot
आपका साथी